
दिल्ली में हुए धमाके के बाद देहरादून में सुरक्षा एजेंसियां और परिवहन विभाग सतर्क मोड पर आ गए हैं। इसी क्रम में पुराने वाहनों का कारोबार करने वाले डीलरों की गतिविधियों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि शहर में 80 प्रतिशत से अधिक पुरानी गाड़ियों का कारोबार बिना पंजीकरण के चल रहा है, जिससे सुरक्षा जोखिम और धोखाधड़ी की आशंका बढ़ जाती है।
परिवहन विभाग ने सभी पुराने वाहन कारोबारियों का रिकॉर्ड तलब किया है। आरटीओ द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि जो व्यापारी पंजीकरण कराने में लापरवाही बरत रहे हैं, उनके द्वारा खरीदे और बेचे जा रहे वाहनों को ब्लॉक करने की तैयारी की जा रही है। विभाग ने डीलरों को तत्काल प्राधिकार प्रमाणपत्र लेने के लिए भी कहा है। अधिकारियों का मानना है कि इससे पुराने वाहनों की खरीद–फरोख्त में पारदर्शिता बढ़ेगी और फर्जीवाड़े पर प्रभावी रोक लगेगी।
जारी अधिसूचना में वाहन मालिक और वाहन डीलर के बीच वाहन की डिलीवरी की सूचना देने की प्रक्रिया को विस्तार से बताया गया है। इसके साथ ही, लेन-देन के दौरान डीलर की जिम्मेदारियों और अनिवार्य दस्तावेजों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।
देहरादून के साथ ही हरिद्वार, रुड़की, ऋषिकेश, विकासनगर और आसपास के क्षेत्रों में भी पिछले कुछ वर्षों में पुरानी बाइक, स्कूटर और कारों का बाजार तेजी से बढ़ा है। मुख्य सड़कों से लेकर गलियों तक सेकेंड-हैंड कार बाजार सक्रिय हैं। इसके अलावा पुराने वाहनों की खरीद–फरोख्त के लिए कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी बड़ी संख्या में उपयोग किए जा रहे हैं।
परिवहन विभाग के अनुसार, बिना पंजीकरण और बिना निगरानी के चल रहा यह कारोबार न केवल उपभोक्ताओं के लिए जोखिमपूर्ण है, बल्कि सुरक्षा की दृष्टि से भी बड़ा खतरा उत्पन्न कर सकता है। विभाग आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में और कड़े कदम उठाने की तैयारी में है।