
2023 में, भारतीय संसद ने महिला आरक्षण बिल को पारित किया, जिससे लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित हो गईं। इस बिल के पारित होने के बाद, कांग्रेस ने दावा किया कि यह बिल उनके द्वारा 1995 में पेश किए गए बिल पर आधारित है। हालांकि, बीजेपी ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि यह बिल उनके द्वारा पेश किया गया था।
2023 में, महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जातीय जनगणना और ओबीसी वर्ग की महिलाओं को आरक्षण दिए जाने का मुद्दा उठाया। इस पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सोनिया गांधी पर हमला किया और कहा कि कांग्रेस ने सालों तक बिल लटकाए रखा। उन्होंने कहा कि यह बिल कांग्रेस का नहीं, बीजेपी और पीएम का है। जो गोल करता है, श्रेय उसी को जाता है।
बीजेपी के इस पलटवार पर कांग्रेस ने कहा कि यह बिल उनके द्वारा पेश किया गया था और बीजेपी ने इसे सिर्फ अपना लिया है। कांग्रेस ने यह भी कहा कि बीजेपी जातीय जनगणना और ओबीसी वर्ग की महिलाओं को आरक्षण देने से बच रही है। महिला आरक्षण बिल एक ऐतिहासिक बिल है, जिससे भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। हालांकि, इस बिल को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच विवाद जारी है।