देहरादून
शनिवार को संयुक्त नागरिक संगठन और संबंध संगठन द्वारा प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता के दौरान 2 नवंबर को संयुक्त नागरिक संगठन के सार्वजनिक जनसंवाद और देहरादून के कई नागरिको से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर आज दून डिक्लेरेशन( उत्तराखंड सरकार के नाम दून वासियों का घोषणा पत्र) को साझा किया।
इस दून डिक्लेरेशन के माध्यम से प्रदेश की सरकार, समस्त अधिकारी/कर्मचारी और देहरादून के सम्मानित/जिम्मेदार नागरिकों के समक्ष तीन अलग अलग सेक्शन में अपने विचार प्रस्तुत किए।
संयुक्त नागरिक संगठन की 2 नवंबर, 2023 की बैठक में यह बात साफ तौर पर सामने आई थी कि लोग अब खोदी गई सड़कों और अस्त-व्यस्त शहर से परेशान हो चुके हैं और नेताओं, अधिकारियों और शहर के अन्य बहुत से लोगों से संपर्क कर जल्द से जल्द शहर की हालत में सुधार करवाना चाहते हैं।
इस बैठक में जनप्रतिनिधियों के साथ विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों, गणमान्य लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने भी हिस्सा लिया गया। बैठक में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की बदहाली, एमडीडीए के देहरादून ड्राफ्ट मास्टर प्लान 2041, नगर निगम देहरादून की लचर कार्यप्रणाली और देहरादून के बेकाबू कांक्रीटीकरण पर विस्तृत चर्चा की गई। एमडीडीए ने ड्राफ्ट मास्टर प्लान 2041 का जो मसौदा तैयार किया है उस पर आपत्तियों दर्ज करवाने का लोगों को पर्याप्त समय नहीं दिया। जनसंवाद के दौरान दून वैली नोटिफिकेशन के संभावित बदलाव, शहर की जनसंख्या, ट्रैफिक व्यवस्था और देहरादून की कैरिंग कैपेसिटी पर भी कई सवाल खड़े हुए ।
इन के अलावा यह बात भी प्रमुखता से उठी की अखबारों में जो स्मार्ट सिटी को लेकर खबरें छपती हैं जमीन पर वह होता नहीं है। एक और उदाहरण मेट्रो को लेकर सामने आया की कई बार नेता और अधिकारी विदेशों का दौरा कर चुके हैं, लेकिन मेट्रो फाइलों से बाहर नहीं निकल रही है। देहरादून स्मार्ट सिटी की जगह देहरादून को decongest करते हुए अलग से सिटी बनानी चाहिए थी। अब स्मार्ट सिटी के नाम पर मनमानी हो रही है।
सभी ने एक सुर में कहा और स्वीकारा कि पिछले 20 वर्षों में देहरादून के हालात बेहद बिगड़े हैं और यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि शहर विनाश और बर्बादी के रास्ते पर ही आगे बड़ा है।