उत्तराखंडसामाजिक

‘उल्लास’ के तहत सभी को बनाया जा रहा है साक्षर…राज्य परियोजना निदेशक झरना कमठान

देहरादून

बुधवार को उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के अन्तर्गत राज्य उल्लास मेले का समग्र शिक्षा तथा एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड के तत्वावधान में आयोजन किया गया। प्रथम राज्य स्तरीय उल्लास मेले का आयोजन अजीम प्रेम जी फाउण्डेशन देहरादून के परिसर में आयोजित हुआ, कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर डॉ. धन सिंह रावत, मन्त्री, विद्यालयी शिक्षा के द्वारा दूरभाष के माध्यम से मेले में प्रतिभाग कर रहे जनपद-उत्तरकाशी, टिहरी, ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार, चम्पावत से आये नवसाक्षर, निरक्षर, स्वयंसेवी अध्यापको तथा साक्षरों को सम्बोधित किया। शिक्षा मन्त्री ने सभी के लिए शिक्षा के लिए चलाये जा रहे उल्लास कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु सभी को शुभकामनायें प्रदान की ओर सभी का सामूहिक रूप से राज्य को शतप्रतिशत साक्षर बनाये जाने हेतु आह्वान किया। तत्पश्चात राज्य परियोजना निदेशक झरना कमठान द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया और अपने उद्बोधन में कार्यक्रम पर सामूहिक रूप से विशेष ध्यान दिये जाने पर बल देते हुए कहा कि, जब माँ-बाप साक्षर होंगे तभी नौनिहालों के अधिगम स्तर में सुधार हो पायेगा तथा सभी को धन्यवाद दिया। राज्य परियोजना निदेशक द्वारा कहा गया कि समाज के लिए, सभी के लिए जीवन पर्यन्त शिक्षा-सभी को साक्षर बनाना हमारा लक्ष्य है, पढ़ने लिखने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती है और पढ़ने लिखने से प्रत्येक व्यक्ति को सबसे पहले, उसके निजी जीवन में लाभ प्राप्त होता है। भारत सरकार द्वारा प्राप्त धनराशि का समयबद्ध उपयोग करना भी हमारा कर्तव्य है। आपके जनपद में कोई भी व्यक्ति निरक्षर न रहे इसके लिए हमें सभी के सहयोग से इस कर्यक्रम को सफल बनाना है, इसका प्रचार-प्रसार अधिकाधिक होना चाहिए। सभी जनपदों को प्राइमर मुद्रण हेतु निर्देशित किया गया। नव साक्षरों को प्रोत्साहित करने के लिए सम्मानित किया गया एवं महिलाओं को स्वयं सहायता समूह के माध्यम से अधिक-से अधिक संख्या में साक्षर करवाये जाने हेतु जनपद स्तर पर अधिक प्रचार-प्रसार किया जाय, बाल-चैपाल लगाकर कठपुतली एवं नुक्कड़ नाटक के माध्यम से साक्षरता को बढ़ाया जाय। प्रचार-प्रसार हेतु सम्बन्धित जनपदों के जिलाधिकारी से सहयोग प्राप्त किया जाय। वन्दना गब्र्याल, निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड, द्वारा राज्य परियोजना निदेशक एवं समस्त प्रतिभागियों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया एवं अवगत कराया कि उल्लास अर्थात समाज में सभी के लिए आजीवन सीखने की समझ कार्यक्रम के अन्तर्गत 15 वर्ष से अधिक आयु वाले वयस्कों को साक्षर बनाना है साथ ही बताया कि नव साक्षरों का सशक्त एवं समाजोपयोगी व्यक्तित्व के रूप में निर्माण हो सके और समाज के विकास में योगदान दे सकें। डॉ. मुकुल कुमार सती, अपर राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा उत्तराखण्ड द्वारा साक्षरता कार्यक्रम की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, उल्लास कार्यक्रम भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजना पहले प्रौढ साक्षरता कार्यक्रम से साक्षरता की अलख जगी थी, cach one teach one निरक्षर लोगों (5 लाख लोगों को साक्षर किया) उसके बाद NILP- न्यू इण्डिया लर्निंग प्रोग्राम से लोगों को साक्षर किया गया, वर्तमान में ULLAS के अन्तर्गत हम 3 बार परीक्षा करवा चुके हैं। पाँचों जनपदों में विशेष जागरूकता के माध्यम से अभियान चलाए गये। NILP के माध्यम से साक्षरों के प्रमाण पत्र प्राप्त हो गये हैं। जिन्हें जनपदों को प्रदान किया जा चुका है। तत्पश्चात राज्य परियोजना निदेशक द्वारा, जनपदों द्वारा लगाये गये स्टाल का निरीक्षण किया गया एवं सभी जनपदों से नवसाक्षर और स्वयंसेवियों से चर्चा-परिचर्चा की और साक्षरता कार्यक्रम का धरातलीय प्रगति को साझा किया। कार्यक्रम में जनपद हरिद्वार की ओर से कठपुतली के माध्यम से एक निरक्षर द्वारा अपने पुत्र की शहादत का पत्र को पढ़ने के लिए दर-दर भटकते हुए विलम्ब के कारण गम्भीर समाचार को भी समय से नहीं पढ़ पाने और समझपाने के कारण, पुत्र के अन्तिम दर्शन से वंचित रह जाता है। साक्षरता कार्यक्रम की महत्ता को दृष्टांकित किया गया। जनपद ऊधम सिंह नगर एवं हरिद्वार की ओर से नव साक्षरों द्वारा साक्षरता पर आधारित स्वरचित गीत प्रस्तुत किया गया। समस्त 05 जनपदों के द्वारा नव भारत साक्षरता कार्यक्रम से सम्बन्धित जनपदवार धरातल पर किये जा रहे कार्यों का प्रस्तुतीकरण किया गया। राज्य नोडल अधिकारी प्रद्युमन सिंह रावत, द्वारा कार्यक्रम में जनपदों से प्रस्तुतीकरण जनपदवार करवाया गया एवं नव साक्षरों को प्रेरित करते हुए कहा कि, नव भारत साक्षर योजना का उद्देश्य न केवल आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्रदान करना है बल्कि आधुनिक समय की आवश्यकताओं के अनुरूप जीवन कौशल जैसे वित्तीय साक्षरता, डिजीटल साक्षरता, वाणिज्यिक कौशल, स्वास्थ्य देखभाल, परिवार कल्याण और व्यावसायिक कौशल विकास को भी विकसित करना है। कार्यक्रम के समापन पर सभी नव साक्षर एवं स्वयं सेवियों को अपर निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी. द्वारा प्रतिभागिता प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिह्न प्रदान किये गये। कार्यक्रम का संचालन भगवती प्रसाद मैंदोली, स्टाफ आॅफिसर द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अजीत भण्डारी, उ0रा0प0नि0, पल्लवी नैन, उ0रा0प0नि0, कुमार गौरव, राज्य समन्वयक, सुबोध कुमार डिमरी, राज्य समन्वयक, मुकेश चन्द्र कुमेड़ी, राज्य समन्वयक, हरीश नेगी, राज्य समन्वयक उल्लास, अनिल ध्यानी, राज्य समन्वयक, सन्दीप उनियाल, राज्य समन्वयक, सुशील वर्धन भट्ट, आशुलिपिक, रोबिन उनियाल, कम्प्यूटर आॅपरेटर उपस्थित रहे।

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