लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल 2024 हुआ पारित, अब राज्य सभा में होगा सियासी घमासान।

लोकसभा में बुधवार को 12 घंटे से अधिक की बहस के बाद वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पारित हो गया है। इस विधेयक के पक्ष में 288 वोट पड़े, जबकि 232 सांसदों ने इस विधेयक का विरोध किया। वक्फ संशोधन बिल को लेके पूरे दिन तीखी बहसबाजी चली। जहां केंद्र सरकार के अधिकतर नेता वक्फ संशोधन बिल का समर्थन कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ विपक्ष इस बिल का कड़ा विरोध कर रही था।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि इस विधेयक का समर्थन करके केंद्र सरकार अल्पसंख्यक समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत मामलों में दखलंदाजी कर रही है।
लोकसभा में विधेयक पारित होने के बाद, अब ये विधेयक गुरुवार को राज्य सभा में पेश किया जाएगा, जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सियासी घमासान देखने को मिल सकता है। अगर ये बिल राज्य सभा से पारित होता है, तो फिर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद, यह बिल पूरे देश की वक्फ संपतियों पर लागू हो जाएगा।
वक्फ बिल क्या है?
वक्फ संशोधन विधेयक 2024, वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करने वाला एक प्रस्तावित कानून है । यह विधेयक वक्फ संपत्तियों और बोर्डों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण बदलाव लाने का प्रस्ताव करता है। इस विधेयक के तहत वक्फ संपत्तियों और बोर्डों के प्रबंधन में पारदर्शिता, गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी और दुरुपयोग रोकने के लिए सख्त नियम लागू करे जाएंगे। सरकार का दावा है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा और प्रशासन को अधिक प्रभावी बनाएगा। दूसरी ओर, विपक्ष और कई मुस्लिम संगठनों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ बताया है।
सरकार का पक्ष:
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में इस बिल को पेश करते हुए इसे ‘उम्मीद’ (यूनीफाइड वक्फ मैनेजमेंट इम्पावरमेंट, इफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट) का हिस्सा बताया। उनका कहना था कि इससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित होगा और पारदर्शिता बढ़ेगी।
विपक्ष का विरोध:
विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला बताया। उनका कहना है कि यह सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ावा देगा और वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता को कमजोर करेगा। कुछ दलों का यह भी आरोप है कि गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्डों में शामिल करना समुदाय के अधिकारों का हनन हो सकता है।
कौन है पक्ष में और कौन कर रहा है विरोध?
बीजेपी, जेडीयू, टीडीपी इस विधेयक के पक्ष में है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस, सपा, टीएमसी, डीएमके, AIMPLB और AIMIM इसके विरोध में है। AIMPLB का कहना है कि यह बिल संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 का उल्लंघन करता है, जो सभी भारतीय नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
आइए जानते है कि वक्फ संशोधन बिल के कानून बनने में क्या–क्या संभव और प्रमुख बदलाव होंगे?
बिल के प्रमुख प्रावधान:
1. ऑनलाइन डेटाबेस और पारदर्शिता
सरकार ने यह प्रावधान किया है कि देशभर की सभी वक्फ संपत्तियों का विवरण एक केंद्रीय ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। यह प्रक्रिया बिल लागू होने के छह महीने के भीतर पूरी करनी होगी। सरकार का दावा है कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और संपत्तियों की स्थिति की सही जानकारी जनता और प्रशासन को मिल सकेगी।
2. वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम और महिला सदस्यों की नियुक्ति
अब वक्फ बोर्डों में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्यों और दो मुस्लिम महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही शिया, सुन्नी और पिछड़े मुस्लिमों से भी एक–एक सदस्य को जगह देना अनिवार्य होगा। सरकार के अनुसार, यह कदम वक्फ बोर्डों में विविधता और समानता बढ़ाने के लिए उठाया गया है।
3. संपत्ति विवादों के निपटान में राज्य अधिकारी की भूमिका
नए प्रावधानों के अनुसार, राज्य सरकार के अधिकारी यह तय कर सकेंगे कि कोई संपत्ति वक्फ की है या नहीं। सरकार का मानना है कि इससे फर्जी दावों और संपत्ति विवादों को रोकने में मदद मिलेगी। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस प्रावधान पर आपत्ति जताई है, उनका कहना है कि इससे सरकारी हस्तक्षेप बढ़ सकता है और सरकारी अफसर सरकार के पक्ष में ही फैसला करेगा।
4. वक्फ ट्रिब्यूनल के निर्णयों पर अपील की प्रक्रिया
अब वक्फ ट्रिब्यूनल के किसी फैसले को 90 दिनों के भीतर सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। पहले इस तरह की अपील की प्रक्रिया स्पष्ट नहीं थी, जिससे प्रभावित पक्षों को न्याय पाने में कठिनाई होती थी।
5. वक्फ संपत्तियों की ऑडिटिंग का अधिकार
केंद्र और राज्य सरकारों को वक्फ संपत्तियों के खातों की ऑडिटिंग करने का अधिकार दिया गया है। सरकार का कहना है कि इससे भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी और धन का सही उपयोग सुनिश्चित होगा। इस प्रावधान के तहत वक्फ बोर्ड सरकार को कोई भी जानकारी देने से इंकार नहीं कर सकता है। इसके अलावा अगर कोई जमीन कई साल पुरानी है जिसका उपयोग पहले ही किसी धार्मिक या किसी अन्य उद्देश्य से हो रहा था, तो वक्फ बोर्ड उस जमीन पर अपना अधिकार नहीं जमा सकता है, ये कहकर कि वो जमीन उसकी हैं।
6. महिलाओं का वक्फ की ज़मीन पर अधिकार
“वक्फ–अल–औलाद” के तहत महिलाओं को भी वक्फ की जमीन पर उत्तराधिकार माना जाएगा। इसका मतलब है कि जिस परिवार ने वक्फ की जमीन को वक्फ बोर्ड को दान किया है तो उस जमीन से होने वाली इनकम पर सिर्फ पुरुषों का नहीं बल्कि महिलाओं का भी अधिकार होगा।
आगे की प्रक्रिया:
फिलहाल लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 बहुमत के साथ पारित हो चुका है। लेकिन राज्य सभा में सरकार की असली परीक्षा शुरू होने जा रही है। लोकसभा के निर्णय को राज्यसभा में चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को इस बिल को राज्यसभा में पेश कर दिया। राज्यसभा में एनडीए सरकार का बहुमत नियमित है, ऐसे में अगर गठबंधन के दल के कोई भी सांसद इधर उधर होते है तो इस विधेयक को पारित करने में काफी अड़चनें आ सकती है। राज्य सभा में मौजूदा समय में कुल 236 सांसद हैं। वहीं 9 सीटें खाली हैं। इस हिसाब से वक्फ संशोधन बिल को राज्यसभा में पास करने के लिए 119 सांसदों के समर्थन की जरुरत होगी।
अगर ये बिल राज्यसभा में पारित हो जाता है तो राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद इसे कानून बना दिया जाएगा। अब देखते है कि इस मुद्दे पर आगे क्या प्रक्रिया होती है और इसका क्या नतीजा निकल कर सामने आता है?