उत्तराखंड

बदरीनाथ धाम में पर्यावरण संरक्षण अभियान

बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने डॉ. मुखर्जी के बलिदान दिवस पर "एक पेड़ मां के नाम" पर किया वृक्षारोपण

 बदरीनाथ : – जनसंघ के संस्थापक और प्रखर राष्ट्रवादी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर उनकी स्मृति में श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक पेड़ मां के नाम” हरित धरा अभियान के तहत वृक्षारोपण किया।

यह वृक्षारोपण कार्यक्रम श्री बदरीनाथ धाम के झुनझुन कॉटेज परिसर में आयोजित किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में पेड़वाले गुरुजी धन सिंह घरिया उपस्थित रहे। बीकेटीसी ने वन विभाग के सहयोग से भोजपत्र, बुरांश और रैक्चयू जैसे हिमालयी क्षेत्र के महत्वपूर्ण वृक्षों का रोपण किया।

बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने इस अवसर पर कहा कि आज का दिन विशेष रूप से स्मरणीय है क्योंकि जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था। उन्होंने कहा, “हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए यह वृक्षारोपण कर रहे हैं। साथ ही देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को मंदिर समिति आगे बढ़ा रही है।”

हेमंत द्विवेदी ने आगे कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश को हरित प्रदेश बनाने का संकल्प लिया है, जिससे हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान होगा। यह अभियान न केवल पर्यावरण सुरक्षा के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और हरित भविष्य सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

उपस्थित गणमान्य व्यक्ति

इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में बीकेटीसी बदरीनाथ प्रभारी अधिकारी विपिन तिवारी, अवर अभियंता गिरीश रावत, नंदिदेवी नेशनल पार्क फूलों की घाटी रेंज से अजय सिंह रावत, निजी सचिव प्रमोद नौटियाल, बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़, अजीत भंडारी, राहुल नेगी, हरीश जोशी और हरीश बिष्ट सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

यह वृक्षारोपण कार्यक्रम न केवल एक महान व्यक्तित्व की स्मृति में आयोजित किया गया बल्कि यह हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सार्थक पहल भी है। प्रधानमंत्री के “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के माध्यम से पूरे देश में हरित क्रांति लाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें बदरीनाथ धाम जैसे पवित्र स्थलों की भागीदारी इस अभियान को और भी अधिक प्रभावशाली बनाती है।

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