उत्तराखंड

हल्द्वानी: मौत को दी मात, दमकल कर्मी राजकुंवर ने बचाईं तीन जिंदगियां

हल्द्वानी:हल्द्वानी में बुधवार को एक ऐसी घटना घटी जो वीरता और साहस की अनुपम मिसाल है। फायर स्टेशन के समीप नहर में हुए एक हादसे के दौरान लीडिंग फायर मैन राजकुंवर सिंह राणा ने न केवल दो लोगों की जान बचाई बल्कि खुद मौत के मुंह में जाकर एक और व्यक्ति को भी सुरक्षित निकाला। यह घटना मानवीय संवेदना और कर्तव्यनिष्ठा का जीवंत उदाहरण है।

बुधवार सुबह तेज बारिश के कारण नहर में पानी का तेज बहाव था। इसी दौरान एक कार नहर में फंस गई और उसमें सवार दो लोग मौत के मुंह में पहुंच गए। हादसे की सूचना मिलते ही फायर स्टेशन की टीम घटनास्थल पर पहुंची। लीडिंग फायर मैन राजकुंवर सिंह राणा के साथ एफएसओ मिन्दर पाल सिंह, फायर कर्मी अनुज शर्मा, जगदीप सिंह, कश्मीर सिंह, सूरज सिंह, अवनीश कुमार, जगत दानू और मोहम्मद अशरफ ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया।

राजकुंवर ने बिना अपनी जान की परवाह किए कार के ऊपर चढ़कर फंसे हुए दरवाजे को खोला और अंदर फंसे दो लोगों को बाहर निकालने में सफलता पाई। लेकिन इसी दौरान उनका पैर फिसल गया और वे खुद भी तेज बहाव में बह गए।

नहर का पानी घटनास्थल से सौ मीटर आगे एक गहरे गड्ढे में गिरता है, जहां से बचना लगभग असंभव है। लेकिन राजकुंवर ने अपनी सूझबूझ से 50 मीटर पहले ही खुद को रोक लिया। अंधेरी कवर्ड नहर में किसी तरह दीवार के सहारे चलकर रोशनी वाली जगह तक पहुंचे, जहां एक मैनहोल था।

राजकुंवर ने एक पत्थर के सहारे खड़े होकर मैनहोल के लोहे के ढक्कन को पकड़ लिया। कुछ ही क्षणों बाद रमेश (नवजात का ताऊ) भी बहते हुए वहां आ गया। राजकुंवर ने उसे भी रोका और दोनों ने एक-दूसरे का साथ देकर जिंदगी की लड़ाई लड़ी।

राजकुंवर ने बताया कि उन्होंने अपना मोबाइल फोन पन्नी में लपेटकर जेब में रखा हुआ था। रमेश की मदद से फोन निकालकर उन्होंने फायर स्टेशन को कॉल किया और अपनी स्थिति बताई। 35 मिनट के संघर्ष के बाद जब ऊपर से मैनहोल का ढक्कन मशीन से उखाड़ा गया, तब जाकर दोनों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।

राजकुंवर ने बताया कि रमेश ने सुझाव दिया था कि वे नहर के आखिरी हिस्से तक चलें, लेकिन राजकुंवर को पता था कि वहां कई फुट गहरा गड्ढा है। उन्होंने रमेश को धैर्य रखने की सलाह दी और दोनों को एक ही जगह रोके रखा, जिससे दोनों की जान बच गई।

राजकुंवर सिंह राणा ने बताया कि वे अब तक करीब 80 बार रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल हो चुके हैं, लेकिन इस बार पहली बार उनका सामना मौत से हुआ। उन्होंने कहा कि हर सेकंड मन में मौत का खौफ था, लेकिन रमेश को बचाने की जिम्मेदारी ने उन्हें हिम्मत दी।

घटना के दौरान तेज बारिश के कारण नहर में पानी लगातार बढ़ रहा था। राजकुंवर को एक तिरछे पत्थर के सहारे खड़े रहकर जिंदगी की लड़ाई लड़नी पड़ी। उन्होंने बताया कि बचाव की गुहार लगाते-लगाते उनका गला बैठ गया था। इसी दौरान ऊपर से दो-तीन कारें और कुछ राहगीर गुजरे, लेकिन नीचे से आने वाली आवाज उन तक नहीं पहुंच सकी।

 

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