उत्तराखंड

एसटीएफ उत्तराखंड ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर धोखाधड़ी का भंडाफोड़ कर 1.47 करोड़ की ठगी करने वाला आरोपी हिमाचल से दबोचा

देहरादून :उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की साइबर थाना कुमाऊँ परिक्षेत्र की टीम ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। टीम ने रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय की सेवानिवृत्त कुलपति से ‘डिजिटल अरेस्ट’ के जरिए 1.47 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले आरोपी को हिमाचल प्रदेश के सोलन से गिरफ्तार कर लिया। आरोपी की पहचान राजेंद्र कुमार पुत्र सोमनाथ, मूल निवासी यमुनानगर (हरियाणा), हाल निवासी सोलन (हिमाचल प्रदेश) के रूप में हुई है।

कैसे हुआ डिजिटल अरेस्ट

पुलिस के अनुसार अगस्त 2025 में नैनीताल निवासी पीड़िता को अज्ञात लोगों ने महाराष्ट्र साइबर क्राइम विभाग का अधिकारी बताकर फोन किया। पीड़िता को बताया गया कि उनके नाम पर केनरा बैंक का एक खाता खोला गया है जिसमें 60 करोड़ रुपये का मनी लॉन्ड्रिंग ट्रांजेक्शन हुआ है। मामले में केस दर्ज होने की धमकी देकर आरोपियों ने पीड़िता को लगातार 12 दिनों तक व्हाट्सएप कॉल पर निगरानी में रखा और किसी से बात करने से रोका।
इसी दौरान बैंक खातों के वेरिफिकेशन के बहाने अलग-अलग खातों में कुल 1.47 करोड़ रुपये ट्रांसफर करा लिए।

एसटीएफ की जांच

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत सिंह के निर्देश पर, अपर पुलिस अधीक्षक स्वप्न किशोर और पुलिस उपाधीक्षक अंकुश मिश्रा के पर्यवेक्षण में, प्रभारी निरीक्षक अरुण कुमार के नेतृत्व में जांच शुरू हुई।
बैंक खातों, मोबाइल नंबरों और व्हाट्सएप कॉल्स की तकनीकी जांच के बाद पुलिस टीम ने आरोपी की पहचान कर उसे हिमाचल प्रदेश के बद्दी क्षेत्र से दबोच लिया। बरामदगी

गिरफ्तारी के दौरान आरोपी से भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई, जिसमें शामिल हैं –

03 मोबाइल फोन

03 सिम कार्ड

02 चेकबुक

10 ब्लैंक/हस्ताक्षरित चेक

03 डेबिट कार्ड

01 बिजनेस कार्ड

04 विभिन्न फर्मों की मोहरें

01 वाई-फाई राउटर

जीएसटी रजिस्ट्रेशन, उद्योग प्रमाणपत्र व बिल बुक अपराध का तरीका

आरोपी ने महाराष्ट्र साइबर क्राइम अधिकारी बनकर पीड़िता को भरोसे में लिया। व्हाट्सएप कॉल पर उन्हें लगातार डराया गया कि उनके नाम पर दर्ज मामले में गिरफ्तारी हो सकती है। डिजिटल अरेस्ट का हवाला देकर उनसे पैसे ट्रांसफर कराए गए।
ठगी से प्राप्त रकम को तुरंत अन्य खातों में भेज दिया जाता था। इसके लिए आरोपी अलग-अलग व्यक्तियों के नाम पर बैंक खाते खुलवाता और खुद नेटबैंकिंग से संचालित करता था।

पुलिस की अपील

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह ने जनता से अपील की है कि—

किसी भी प्रकार के लोकलुभावने निवेश ऑफर, नकली वेबसाइट, यूट्यूब लाइक-सब्सक्राइब स्कीम या टेलीग्राम निवेश प्लेटफॉर्म पर भरोसा न करें।

सोशल मीडिया पर अंजान व्यक्तियों से दोस्ती करने और कॉल पर अपनी निजी जानकारी साझा करने से बचें।

किसी भी संदेहास्पद कॉल या ऑनलाइन धोखाधड़ी की स्थिति में तुरंत 1930 हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें या नजदीकी साइबर क्राइम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराएं।

उन्होंने कहा कि बढ़ते इन्वेस्टमेंट स्कैम्स और डिजिटल अरेस्ट ठगी से बचाव का एकमात्र तरीका जागरूक रहना है।

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