
देहरादून: उत्तराखंड में हुए छात्र संघ चुनावों में छात्रों ने जिस उत्साह से भागीदारी की, उसने राज्य की राजनीति को नई दिशा दे दी है। तमाम विरोध प्रदर्शनों और भर्ती परीक्षाओं में अनियमितताओं को लेकर उठे सवालों के बीच माना जा रहा था कि युवा आक्रोशित हैं। लेकिन, जिस तरह से नतीजे आए, उसने सभी आशंकाओं को गलत साबित कर दिया।
महाविद्यालयों में छात्र संघ की लगभग 80 प्रतिशत सीटें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने जीतकर अपनी पकड़ मजबूत की है। इसे धामी सरकार के कामकाज पर युवाओं की मुहर के तौर पर भी देखा जा रहा है।
विपक्ष लगातार पेपर लीक और भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठाता रहा है, मगर छात्रों ने मतदान में ABVP पर भरोसा जताया और राष्ट्रवादी विचारधारा में विश्वास व्यक्त किया। सरकार द्वारा परीक्षाओं को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए उठाए गए कदमों का असर भी इन नतीजों में साफ झलकता है।
राजनीतिक हलकों में यह संदेश स्पष्ट है कि युवाओं का बड़ा वर्ग फिलहाल सरकार के साथ खड़ा है और छात्र राजनीति के जरिए यह समर्थन खुले तौर पर सामने आया है।