
देहरादून: खनन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गुरुवार को जारी राज्य खनन तत्परता सूचकांक (State Mining Readiness Index – SMRI) में उत्तराखंड ने ‘सी’ कैटेगरी में अग्रणी स्थान हासिल किया है। यह उपलब्धि राज्य सरकार द्वारा खनन क्षेत्र में पारदर्शिता, तकनीकी सुधार, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए किए गए सतत प्रयासों का परिणाम है।
यह सूचकांक केंद्र सरकार के केंद्रीय बजट 2025–26 की घोषणा के अनुरूप तैयार किया गया है। इसमें देश के विभिन्न राज्यों का मूल्यांकन खनन सुधार, नीतिगत पारदर्शिता, पर्यावरणीय संतुलन, खनिज अन्वेषण क्षमता और प्रशासनिक दक्षता जैसे प्रमुख मापदंडों के आधार पर किया गया।
इसमें मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान को ‘ए’ कैटेगरी, गोवा, उत्तर प्रदेश और असम को ‘बी’ कैटेगरी में स्थान मिला है, जबकि उत्तराखंड, पंजाब और त्रिपुरा को ‘सी’ कैटेगरी में अग्रणी माना गया है।
खनन मंत्रालय के अनुसार, यह सूचकांक राज्यों के बीच खनन सुधारों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा, जिससे देशभर में पर्यावरण-अनुकूल और पारदर्शी खनन नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन को बल मिलेगा।
उत्तराखंड के खनन क्षेत्र में सुधार के प्रमुख कदम
राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं—
ई-नीलामी प्रणाली को सुदृढ़ किया गया है, जिससे खनन पट्टों के आवंटन में पारदर्शिता आई है।
खनन प्रक्रियाओं को डिजिटाइज कर जनता और उद्यमियों के लिए प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।
अवैध खनन पर नियंत्रण के लिए सैटेलाइट आधारित निगरानी प्रणाली लागू की गई है।
ई-रवन्ना प्रणाली को सख्ती से लागू कर राजस्व हानि पर प्रभावी रोक लगाई गई है।
पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में सस्टेनेबल माइनिंग प्रैक्टिसेस को बढ़ावा दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह उपलब्धि उत्तराखंड सरकार के सशक्त शासन मॉडल, पारदर्शी नीतियों और जनकेंद्रित दृष्टिकोण का परिणाम है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य विकास और पर्यावरणीय संतुलन के बीच सामंजस्य स्थापित करते हुए खनन क्षेत्र को सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ाना है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारी सरकार ने खनन क्षेत्र में भ्रष्टाचार और अपारदर्शिता को समाप्त करते हुए एक उत्तरदायी और आधुनिक प्रणाली विकसित की है। राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन नहीं, बल्कि उनका संवेदनशील प्रबंधन ही हमारी प्राथमिकता है।”
मुख्यमंत्री ने खनन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि टीम उत्तराखंड के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने बताया कि खनन विभाग ने राज्य के राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है — खनन राजस्व में 800 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि राज्य की नई खनन नीति प्रभावी और पारदर्शी तरीके से लागू की गई है।
उन्होंने यह भी बताया कि हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों के प्रतिनिधि भी उत्तराखंड आकर यहाँ की खनन नीति और तकनीकी मॉडल का अध्ययन कर रहे हैं, ताकि अपने राज्यों में भी इन नीतियों को लागू किया जा सके।
खनन विभाग ने कहा कि भविष्य में भी वैज्ञानिक खनन, पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय जनहितों के बीच संतुलन बनाए रखने की दिशा में निरंतर प्रयास किए जाएंगे। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में उत्तराखंड खनन पारदर्शिता और सतत विकास का राष्ट्रीय मॉडल राज्य बने।