
देहरादून: उत्तराखंड में इस बार आयुर्वेद कोर्सों की सीटें भरना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। राज्यभर के 26 पैरामेडिकल कॉलेजों में तीन हजार से अधिक सीटें उपलब्ध हैं, लेकिन अब तक केवल 600 छात्र-छात्राओं ने ही प्रवेश के लिए आवेदन किया है।
भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखंड के माध्यम से संचालित इन आयुर्वेद पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में आयुर्वेद शिक्षा के प्रति छात्रों का रुझान कम हुआ है, जबकि संस्थानों की संख्या और सीटें लगातार बढ़ रही हैं।
अधिकारियों का कहना है कि नवंबर के पहले सप्ताह में काउंसलिंग प्रक्रिया आयोजित की जाएगी। उम्मीद जताई जा रही है कि अंतिम चरण तक आवेदन संख्या में कुछ वृद्धि हो सकती है।
शिक्षा विभाग के अनुसार, आयुर्वेद, पंचकर्म, फार्मेसी, और आयुर्वेदिक नर्सिंग जैसे कोर्सों में अच्छी रोजगार संभावनाएं हैं, लेकिन छात्रों की प्राथमिकता अब भी एलोपैथिक और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों की ओर झुकी हुई है।
आयुर्वेद कॉलेजों के प्रबंधकों का कहना है कि यदि सरकार और संबंधित परिषद प्रचार-प्रसार बढ़ाए और रोजगार के अवसरों को स्पष्ट रूप से छात्रों के सामने रखे, तो भविष्य में प्रवेश संख्या में सुधार संभव है।