उत्तराखंडदेहरादून

प्रवासी उत्तराखंडी करेंगे राज्य की दिशा और दशा पर मंथन

दूसरा प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन 5 नवंबर को दून विश्वविद्यालय में, अब तक 200 प्रवासियों ने कराया पंजीकरण

देहरादून, 23 अक्टूबर: राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर प्रवासी उत्तराखंडी एक बार फिर अपनी मातृभूमि से जुड़ने जा रहे हैं। पांच नवंबर को दून विश्वविद्यालय में दूसरा प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन आयोजित होगा। इस एक दिवसीय सम्मेलन में प्रवासी उत्तराखंडी राज्य की 25 वर्षों की विकास यात्रा पर अपने विचार और सुझाव साझा करेंगे, साथ ही उत्तराखंड को भविष्य में और बेहतर बनाने के लिए दिशा तय करेंगे।

इस सम्मेलन के लिए पंजीकरण प्रक्रिया जारी है, जो 24 अक्टूबर 2025 की देर रात तक चलेगी। अब तक विभिन्न राज्यों के 200 प्रवासी उत्तराखंडियों ने पंजीकरण कराया है। पंजीकरण प्रवासी उत्तराखंड प्रकोष्ठ की वेबसाइट www.pravasiuttarakhandi.uk.gov.in पर किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर वर्ष 2024 से प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन का आयोजन शुरू हुआ था। पहले सम्मेलन में 17 राज्यों के 200 प्रतिभागियों ने भाग लिया था। इस बार प्रतिभागियों की संख्या और अधिक रहने की उम्मीद है।

प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री आर.के. सुधांशु के अनुसार, सम्मेलन का आयोजन पांच नवंबर को दून विश्वविद्यालय के नित्यानंद ऑडिटोरियम में सुबह 10 बजे से किया जाएगा। उद्घाटन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे। सम्मेलन दो सत्रों में आयोजित होगा—

पहला सत्र पर्यावरण से संबंधित रहेगा, जिसके लिए वन विभाग के पीसीसीएफ एस.पी. सुबुद्धि को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

दूसरा सत्र स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित रहेगा, जिसके लिए दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल को नोडल अधिकारी बनाया गया है।

प्रमुख सचिव ने बताया कि सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री प्रवासी उत्तराखंडियों से सीधा संवाद करेंगे। संवाद का यह सत्र लगभग एक घंटे का होगा। अब तक उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और झारखंड सहित कई राज्यों से 200 प्रवासियों ने पंजीकरण कराया है। सम्मेलन के पश्चात शाम को दून विश्वविद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रवासी उत्तराखंडियों को एक मंच पर लाने, उन्हें मातृभूमि से सक्रिय रूप से जोड़ने और राज्य के विकास में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। पिछले सम्मेलन के अनुभव बेहद उत्साहजनक रहे हैं। उन्होंने प्रवासी उत्तराखंडियों से इस सम्मेलन में भाग लेने की अपील करते हुए कहा कि उनके सुझाव राज्य के विकास का रोडमैप तैयार करने में अहम भूमिका निभाएंगे।

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