
पहले मिस ऋषिकेश ऑडिशन के दौरान भी ऐसा ही विवाद देखने को मिला था, जब हिंदू संगठनों ने वेस्टर्न कपड़ों पर आपत्ति जताते हुए ऑडिशन रुकवाने की कोशिश की थी। उस वक्त प्रतिभागियों ने साफ कहा था कि “कपड़ों से संस्कार नहीं नापे जाते।”
अब वही कहानी एक बार फिर दोहराई जा रही है। इस बार सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर तनु रावत को निशाना बनाया गया है।
आश्रम के एक फ्लैट में शूट किए गए उनके डांस वीडियो को लेकर राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन ने विरोध दर्ज कराते हुए आश्रम प्रबंधन से जवाब मांगा है। संगठन का कहना है कि यह वीडियो तीर्थनगरी की गरिमा के खिलाफ है।
लेकिन बड़ा सवाल यही है — किसी की निजी जिंदगी या अभिव्यक्ति पर फैसला देने का अधिकार आखिर किसने दिया है?
ऋषिकेश एक तीर्थनगरी जरूर है, पर इसका मतलब यह नहीं कि यहां मॉरल पुलिसिंग के नाम पर हर किसी की आजादी पर पहरा लगाया जाए।
संस्कृति की रक्षा जरूरी है, लेकिन वह तभी सार्थक है जब वह दूसरों की स्वतंत्रता और गरिमा का भी सम्मान करे।