रुद्रप्रयाग के ल्वेगढ़ गांव में 90 वर्षीय महिला की मौत, शव उठाने के लिए चार कंधे नहीं मिले

रुद्रप्रयाग: ल्वेगढ़ गांव में 90 वर्षीय महिला के निधन के बाद शव उठाने के लिए चार कंधे तक नहीं जुट पाए, यह घटना प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती पलायन की समस्या और सामाजिक संकट को उजागर करती है। गांव में युवा और मध्य आयु वर्ग के लोग शहरों और दूसरे राज्यों में रोजगार और बेहतर जीवन की तलाश में चले जाने के कारण ग्रामीण आबादी लगभग समाप्त हो चुकी है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि मृतक महिला के अंतिम संस्कार के लिए आवश्यक सहयोग जुटाना मुश्किल हो गया क्योंकि अधिकांश परिवार और युवा सदस्य गांव में नहीं हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क, स्वास्थ्य और जनसंख्या संबंधी मूलभूत सुविधाएँ केवल कागजों में ही सीमित रह गई हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तराखंड के ऐसे छोटे और दूरदराज़ के गांवों में आवासीय जनसंख्या घटने से सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन पर भी असर पड़ता है। बुजुर्ग और अकेले रह गए ग्रामीणों के लिए न केवल स्वास्थ्य और देखभाल की समस्याएँ बढ़ रही हैं, बल्कि परंपरागत सामाजिक रीति-रिवाजों का पालन भी कठिन हो गया है।
स्थानीय प्रशासन ने बताया कि सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के प्रयास जारी हैं, लेकिन जनसंख्या के पलायन को रोकने के लिए ठोस योजना की आवश्यकता है। ग्रामीणों ने भी आग्रह किया कि युवाओं को गांव में रोजगार और जीवनोपायिक सुविधाएँ प्रदान की जाएँ ताकि ऐसे सामाजिक और मानवीय संकट दोबारा न उत्पन्न हों।