रेशम फेडरेशन ने कमाया एक करोड़ का मुनाफा, ‘दून सिल्क’ बना सफलता का आधार

देहरादून: उत्तराखंड को ऑपरेटिव रेशम फेडरेशन ने अपनी नई व्यावसायिक रणनीति से प्रभावशाली सफलता हासिल की है। फेडरेशन द्वारा ‘कम्प्लीट वैल्यू चेन’ प्रणाली को अपनाने के बाद वित्तीय वर्ष 2024-25 में ‘दून सिल्क’ ब्रांड के नाम से 2.34 करोड़ रुपये के रेशमी उत्पादों की बिक्री हुई, जिससे फेडरेशन को एक करोड़ से अधिक का शुद्ध मुनाफा हुआ है।
मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के नेतृत्व में यह उपलब्धि प्राप्त हुई है, जो फेडरेशन की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कम्प्लीट वैल्यू चेन प्रणाली के तहत फेडरेशन ने रेशम उत्पादन से लेकर विपणन तक के सभी चरणों पर फोकस किया है। इस प्रणाली में धागा निर्माण, डिजाइनिंग, पैकेजिंग और विपणन सभी क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, फेडरेशन के तहत विगत वर्ष 1500 किलो रेशम धागे का उत्पादन किया गया। प्रदेशभर में 6500 से अधिक शहतूती रेशम कीटपालक काम कर रहे हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत कीटपालक प्रतिवर्ष 3 लाख किलो रेशम कोया का उत्पादन कर रहे हैं। सेलाकुई ग्रोथ सेंटर में कीटपालकों से खरीदे गए कोया से रेशमी धागों का उत्पादन होता है, जिसे स्थानीय बुनकरों के माध्यम से हैंडलूम, पावरलूम और अन्य बुनाई विधियों से विभिन्न रेशमी वस्त्रों में बदला जाता है।
वर्तमान में फेडरेशन के तहत 5501 लाभार्थी काम कर रहे हैं, जिनमें 5030 कीटपालक, 286 बुनकर, 12 उत्पाद फिनिशिंग कर्मी, 24 धागा उत्पादक, 38 सहकारी समितियां, 13 स्वयं सहायता समूह और 98 यार्न बैंक से जुड़े बुनकर शामिल हैं। इन सभी के सहयोग से उच्च गुणवत्ता के रेशमी धागे और वस्त्रों का उत्पादन हो रहा है।
फेडरेशन ने ‘फार्म टू फेब्रिक परियोजना’ के तहत देहरादून और हरिद्वार जिलों में 200 लाभार्थियों का चयन किया है। इस योजना में लाभार्थियों को कीटपालन गृह निर्माण के लिए 1.12 लाख रुपये की शत-प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है और 300 पौधे निःशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं। साथ ही आवश्यक कीटपालन उपकरण भी मुफ्त में दिए जा रहे हैं।
एक और नवाचार के रूप में ‘वेस्ट से बेस्ट योजना’ शुरू की गई है, जिसके तहत धागाकरण के बाद बचे खराब रेशम कोयों का उपयोग करके कटघई के माध्यम से हैंड स्पन धागे का उत्पादन किया जा रहा है। इससे न केवल अपशिष्ट का सदुपयोग हो रहा है बल्कि जनजातीय समुदायों की महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है। इस धागे से बने मफलर और मिश्रित शॉल की बाजार में भारी मांग है।
मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इस सफलता पर कहा कि कम्प्लीट वैल्यू चेन प्रणाली लागू करने से फेडरेशन की व्यावसायिक गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। उन्होंने बताया कि यह उपलब्धि सहकारिता प्रणालियों को सशक्त बनाने की राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। फेडरेशन की यह सफलता उत्तराखंड के स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।