देहरादून
प्रदेश सरकार की उत्तराखण्ड में सशक्त भू-कानून लाने की कवायद की शुरुआती चरण में ही बखिया उखड़ने लगी है। हालत य़ह है कि ऋषिकेश के झीलवाला के (रानी पोखरी) में पर्यटन हब विकसित करने को दिल्ली की एक फर्म को दी गई 200 बीघा जमीन पर पर्यटन गतिविधियां तो अस्तित्व में नहीं आ पायी उल्टा फर्म स्वामी इस जमीन को हरिद्वार के एक रियल स्टेट कारोबारी को बेचकर चुपचाप चलते बना। जबकि फर्म को जमीन विक्रय किए जाते समय उसमें शर्ते भी शामिल थी। मामला सामने आने पर अब सरकार जांच के नाम पर लीपापोती करने में जुटी है।
यहाँ बता दे कि वर्ष 2011 में ऋषिकेश के झीलवाला (रानी पोखरी) में पर्यटन स्थल विकसित करने के लिए दिल्ली की फर्म ‘सनाती कार्पोरेशन’ को 200 बीघा जमीन कुछ खास शर्तों के साथ विक्रय की गई जिसमें पर्यटन सम्बन्धी क्रियाकलापों जिसमें हेल्थ, स्पा, ध्यान योग केंद्र की स्थापना, एम्युजमेंट पार्क, वाटर पार्क, नेचुरल एंव वाटेनिकल पार्क, शैल उद्यान, कल्चरल सेंटर और स्वीमिंग पूल जैसी गतिविधियों को अंजाम दिया जाना था। लेकिन उक्त फर्म ने यहाँ उपरोक्त गतिविधियों को स्थापित नहीं किया। उल्टा फर्म सरकारी मशीनरी को धत्ता बताते हुए रफ़ूचक्कर हो गई। फ़र्म ने पर्यटन श्रेणी की इस भूमि को हरिद्वार के एक रियल स्टेट कारोबारी मेमपाल चौधरी को मोटे मुनाफे में बेच दी। जबकि शासन के साथ हुए अनुबन्ध के अनुरूप य़ह साफ था कि शर्तों के विपरित भूमि का उपयोग विक्रय के लिए नहीं हो पाएगा यदि अपरिहार्य स्थितियों में भूमि का विक्रय करना पड़ा तो पहले शासन से अनुमती लेनी होगी। यहाँ य़ह भी उल्लेखनीय है कि जिस जमीन घपलों पर नजर रखने को सरकार ने पूरे शासन प्रशासन को मुस्तैद कर रखा है उसे इसकी भनक तक नहीं लगी या फिर भनक लगने के बाद भी मामले को अनदेखा कर दिया गया।
अधिकारियों में सामंजस्य न होना बना बड़ी वजह
” सनाती कार्पोरेशन ” द्वारा अनियमित तरीके से रीयल स्टेट कारोबारी को जमीन बेचे जाने के मामले में अधिकारियों में भी आपसी सामंजस्य की कमी साफ दिखती है।
इस पूरे मामले में जहां तत्कालीन एडीएम के के मिश्रा ने रजिस्ट्री पर आपत्ति दर्ज कराते हुए रजिस्ट्रार ऋषिकेश से मामले में पूछताछ की थी, लेकिन इसी बीच उनका तबादला हो गया। उनके स्थान पर आए नए एडीएम रामजी शरण शर्मा के आते ही रजिस्ट्री पर लगी आपत्ति हट गई और रियल स्टेट कारोबारी के लिए रजिस्ट्री कराना आसान हो गया।