16वें वित्त आयोग से कांग्रेस की मांग: उत्तराखंड को मिले विशेष राज्य का दर्जा और आर्थिक पैकेज

देहरादून। उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने और राज्य की आर्थिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त आर्थिक सहायता की मांग कांग्रेस ने 16वें वित्त आयोग के समक्ष रखी है। आयोग की राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ हुई महत्वपूर्ण बैठक में प्रदेश कांग्रेस की ओर से कई जरूरी सुझाव प्रस्तुत किए गए।
कांग्रेस की ओर से प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने वित्त आयोग को एक विस्तृत सुझाव पत्र सौंपा, जिसमें राज्य की आर्थिक संरचना, भौगोलिक कठिनाइयों और पलायन की गंभीर समस्या को रेखांकित किया गया। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड ने 25 वर्षों में काफी प्रगति की है और राज्य का वार्षिक बजट राज्य निर्माण के पहले वर्ष की तुलना में अब लगभग 24 गुना अधिक हो चुका है। इसके बावजूद, पलायन राज्य की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बना हुआ है।
धस्माना ने कहा कि राज्य का 67 प्रतिशत भूभाग वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जबकि केवल 33 प्रतिशत भूमि ही कृषि योग्य है, जिसमें से अधिकांश असिंचित है। इसके अलावा, राज्य में राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य और आरक्षित वन क्षेत्र बड़ी संख्या में हैं, जिससे विकासात्मक गतिविधियों की सीमाएं और बढ़ जाती हैं।
कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने आयोग से आग्रह किया कि उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए “लागत संवेदनशीलता गुणांक” विशेष रूप से तैयार किया जाए, ताकि संसाधनों का न्यायसंगत आवंटन हो सके। साथ ही, पर्वतीय जिलों में जनसंख्या घनत्व कम होने के कारण स्थानीय निकायों के लिए निर्धारित जनसंख्या मानदंडों में छूट देने की भी मांग की गई।
पलायन की गंभीरता को रेखांकित करते हुए सुझाव दिया गया कि एक विशेष ‘पलायन रोधी विकास योजना’ लागू की जाए, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं सुलभ हो सकें और लोग अपने गांवों में ही रहकर जीवन यापन कर सकें।
बैठक में कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता गिरिराज किशोर हिंदवान भी उपस्थित रहे। उन्होंने भी उत्तराखंड के लिए स्थायी और समावेशी विकास की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रदेश कांग्रेस द्वारा उठाए गए ये सुझाव राज्य की वास्तविक ज़रूरतों को दर्शाते हैं। अब देखना होगा कि 16वां वित्त आयोग इन मांगों पर क्या रुख अपनाता है और क्या उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा मिलने की राह आसान होती है या नहीं।