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देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सशक्त भू-कानून को मंजूरी दे दी गई है। यह फैसला राज्य की जमीन और संसाधनों को बाहरी अतिक्रमण से बचाने और स्थानीय निवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए लिया गया है। मुख्यमंत्री धामी ने बजट सत्र के दौरान सशक्त भू-कानून लाने का जो वादा किया था, उसे पूरा करने का यह महत्वपूर्ण कदम है।
विधानसभा में पेश होगा भू-कानून का मसौदा
कैबिनेट में पारित किए गए इस संशोधित भू-कानून को अब विधानसभा के पटल पर पेश किया जाएगा। सरकार का कहना है कि यह कानून उत्तराखंड की पारिस्थितिकी, संस्कृति और स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा करेगा।
क्या होंगे नए भू-कानून के प्रावधान?
- कृषि और बागवानी के लिए भूमि खरीद पर रोक:
- हरिद्वार और उधमसिंह नगर को छोड़कर बाकी 11 जिलों में राज्य से बाहर के लोग कृषि व बागवानी के लिए जमीन नहीं खरीद सकेंगे।
- अन्य प्रयोजनों के लिए सरकार की अनुमति अनिवार्य:
- व्यवसायिक, औद्योगिक या अन्य प्रयोजनों के लिए जमीन खरीदने के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी।
- रहने के लिए सीमित भूमि खरीदने की अनुमति:
- राज्य से बाहर का कोई भी व्यक्ति सिर्फ एक बार अपने परिवार के लिए 250 वर्ग मीटर तक की जमीन खरीद सकता है।
- शपथ पत्र अनिवार्य:
- भूमि खरीदने के समय सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा, जिसमें यह सुनिश्चित करना होगा कि खरीदी गई जमीन का दुरुपयोग नहीं होगा।
मुख्यमंत्री धामी का बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा,
“उत्तराखंड की जनता की लंबे समय से मांग थी कि यहां सशक्त भू-कानून लागू किया जाए। हमने जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए यह ऐतिहासिक फैसला लिया है। यह कानून हमारे राज्य की मूल संस्कृति और संसाधनों की रक्षा करेगा।”
स्थानीय जनता को लाभ
इस नए कानून से उत्तराखंड के निवासियों को प्राथमिकता मिलेगी और बाहरी लोगों द्वारा अंधाधुंध भूमि खरीद पर रोक लगेगी। यह कानून राज्य के पर्यावरण और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में भी सहायक होगा।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विधानसभा में यह कानून कब तक पारित होता है और इसे लागू करने की प्रक्रिया कितनी तेज होती है।