उत्तराखंडसामाजिक

महिला आयोग की अध्यक्ष ने दो साल पूर्ण होने पर गिनाई उपलब्धियां

देहरादून

उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष महोदया, कुसुम कण्डवाल द्वारा को अपने कार्यकाल के द्वितीय वर्ष पूर्ण होने के सुअवसर पर प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग महिलाओं के हितों की रक्षा/ उनके अधिकारों / उनके विरूद्ध बढ़ती हिंसा एवं अपराध को रोकने व महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने इत्यादि कार्य हेतु सदैव तत्पर रहता है। महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक करने हेतु प्रत्येक वर्ष अलग-अलग क्षेत्रों में समय-समय पर कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया जाता है। प्रत्येक वर्ष आयोग में दर्ज शिकायतों में वृद्धि हुई है, जिस पर आयोग गम्भीरता से कार्य कर रहा है। अगर किसी भी महिला को कोई भी समस्या होती है तो वह बिना किसी झिझक व डर के आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करवाती है अथवा करवा सकती है। आयोग द्वारा भरसक यह प्रयास किया जाता है कि महिलाओं को किसी तरह की परेशानी न हो, उन्हें उनके अधिकारों की जानकारी हो सके एवं साथ ही उसकी समस्या का समय से निदान हो सके। विभिन्न सरकारी, गैर-सरकारी विभागों एवं संस्थाओं में कार्यरत महिलाओं की जो समस्याएं / शिकायतें आयोग को प्राप्त होती हैं, उस पर भी आयोग संज्ञान लेता है। आयोग द्वारा माननीय अध्यक्ष महोदया जी की अध्यक्षता में दो वर्षों के अन्तराल में निम्नवत विभिन्न कार्य एवं उपलब्धियां हैं:- DE

 

कार्यशाला, सेमिनार व आयोजनः-

• जनपद-चमोली एवं रुद्रप्रयाग में एण्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग से सम्बन्धित कार्यशाला का आयोजन सम्पन्न कराया गया है।

• राष्ट्रीय महिला आयोग के वित्तीय सौजन्य से राज्य में संचालित महिला थाना / महिला हैल्प डैस्क की कार्यकुशलता एवं प्रभावशीलता से सम्बन्धित सेमिनार एवं खेल सेमिनार का आयोजन कराया गया।

• महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के समन्वय से माह-सितम्बर में पोषण माह कार्यक्रम का आयोजन कराया गया।

• आयोग द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में “निर्भय भारत-सशक्त नारी” विषय पर महिला सशक्तिकरण हेतु कानूनी व वित्तीय जागरूकता हेतु एक द्विवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

• आयोग द्वारा समय-समय पर जनपदों में विभागीय स्तर की बैठक का आयोजन कराया जाता है।

 

कार्यक्रम में प्रतिभाग एवं उपलब्धियां:-

उत्तराखण्ड की महिलाओं के उत्थान हेतु महिला नीति के ड्राफ्ट को सीपीपीजीजी, नियोजन विभाग द्वारा अन्तिम रूप देने हेतु सिविल सेवा संस्थान, देहरादून में संवादात्मक बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रतिभाग किया गया। आयोग द्वारा महिला नीति का फाईनल ड्राफ्ट शासन को सौंप दिया गया है।

राष्ट्रीय महिला आयोग के द्वारा विज्ञान भवन, नई-दिल्ली में आयोजित साईबर सुरक्षा एवं डिजिटल सशक्तिकरण पर केन्द्रित महत्वपूर्ण सेमिनार में प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम में सुरक्षित डिजिटल परिदृश्य को बढ़ावा देने, ऑनलाईन सुरक्षा एवं प्रौद्योगिकी सशक्तिकरण सम्बन्धी महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा हुई।

महाराष्ट्र सदन, दिल्ली में सुदर्शन न्यूज के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में “सुशासन के 9 साल-मोदी सरकार’ कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए चैनल के माध्यम से प्रधानमंत्री व  मुख्यमंत्री , उत्तराखण्ड सरकार के द्वारा राज्य में किये जा रहे सराहनीय कार्यों का आभार व्यक्त किया गया।

• पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय, नरेन्द्रनगर, टिहरी गढवाल में महिला सुरक्षा को लेकर आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण के समापन के अवसर पर प्रतिभाग किया गया। इस अवसर पर प्रदेश के अनेक थानों के पुलिस उप-निरक्षक एवं प्रशिक्षु उपस्थित रहे। साथ ही महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों, अत्याचारों तथा सुरक्षा से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई।

राज्य अतिथि गृह स्थित NXE, कार्यालय, देहरादून में समान नागरिक संहिता के अन्तर्गत राज्य की महिलाओं के हितों में विशेष प्रावधान व महिलाओं के अधिकारों को लेकर चर्चा करते हुए सुझाव भी दिये गए।

• संविदा, आउटसोर्स एवं दैनिक वेतन भोगी महिला कार्मिकों को बाल्य देखभाल अवकाश एवं पी०आर०डी० व होमगार्ड विभाग में कार्यरत महिलाओं को मातृत्व अवकाश का लाभ दिये जाने हेतु शासन स्तर पर लगातार पत्राचार किया गया, जिसके उपरान्त बाल्य देखभाल अवकाश एवं मातृत्व अवकाश सम्बन्धी आदेश पारित हुए।

• घरेलू हिंसा से सम्बन्धित अधिनियम-2005 एवं कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन निवारण समिति के तहत महिलाओं को जानकारी उपलब्ध करायी जा रही है। काउंसिलिंग के दौरान विभागीय प्रकरण के दौरान कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन निवारण समिति का गठन किये जाने हेतु जानकारी उपलब्ध करायी जा रही है।

किसी महिला के साथ हुए अपराध जैसे-हत्या, बलात्कार, यौन अपराध, घरेलू हिंसा तथा मानसिक उत्पीडन के सम्बन्ध में आयोग द्वारा मौके पर जाकर त्वरित संज्ञान लिया जाता है।

किसी पीड़ित महिला की रिपोर्ट दर्ज न होने पर पुलिस प्रशासन से त्वरित कार्यवाही करने हेतु समन्वय किया जाता हैं।

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