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Confusion On Holi Date : होली 14 मार्च को या 15 को, जानिए होलिका दहन और रंगों की होली की सही तिथि और शुभ मुहूर्त

Confusion On Holi Date : होलिका दहन और होली भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक हैं। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। परंपरा के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन धुलेंडी या रंगों की होली खेली जाती है। लेकिन हर साल पंचांग भेद के कारण होली की तिथि को लेकर मतभेद उत्पन्न हो जाते हैं।

ग्रंथों के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन या छोटी होली मनाई जाती है और अगले दिन धुलेंडी या होली खेली जाती है। लेकिन कुछ ज्योतिषी होलाष्टक 6 मार्च से तो कुछ 7 मार्च से मान रहे हैं, इससे कुछ फाल्गुन पूर्णिमा 13 मार्च को तो कुछ 14 मार्च को मान रहे हैं, इसी कारण होली 2025 भी कुछ के अनुसार 14 मार्च को होनी चाहिए और कुछ के अनुसार 15 मार्च को, आइये जानते हैं की होलिका दहन का समय 2025 और होली 2025 की सही तारीख क्या है। (Confusion On Holi Date)

शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलाष्टक शुरू हो जाते हैं और यह फाल्गुन पूर्णिमा को संपन्न होते हैं। ज्योतिषी के अनुसार फाल्गुन शुक्ल अष्टमी की शुरुआत गुरुवार 6 मार्च को प्रात: 10:51 बजे हुई है और पूर्णिमा 13 मार्च को होगी (सुबह 10.36 बजे से अगले दिन 14 मार्च को 12.15 बजे तक) , उसके एक दिन बाद 14 मार्च को होली खेली जाएगी।

लेकिन कई लोग उदयातिथि के नियम से त्योहार मनाते हैं, ऐसे में वो पूर्णिमा 14 मार्च को मानेंगे, ऐसे में होली 2025 अगले दिन 15 मार्च को होली हुई। लेकिन ज्योतिषी नीतिका शर्मा कहती हैं कि 15 मार्च को उदय व्यापिनी पूर्णिमा का मान तीन प्रहर से कम है और शास्त्रीय मत है कि पूर्णिमा तिथि का मान तीन प्रहर से कम होने पर पहले दिन का मान निकालकर होलिका दहन करना चाहिए।

इसलिए होलिका दहन 14 मार्च की बजाय 13 मार्च को ही करना बेहतर है। वहीं होली 14 मार्च को चैत्र कृष्ण प्रतिपदा मानकर मनाना चाहिए न कि उदयातिथि में 15 मार्च 2025 को (बता दें कि पंचांग भेद और स्थानीय समय के अनुसार तिथि में 1 से 5 मिनट तक की घटबढ़ रहती है)

मिथिला क्षेत्र के ज्योतिषियों के अनुसार उदयातिथि में पूर्णिमा 14 को होगी और चैत्र कृष्‍ण पक्ष प्रतिपदा 15 मार्च को होगी, इसलिए 14 मार्च को होलिका दहन और होली 2025 का सेलिब्रेशन करना चाहिए।

ऐसे लोगों का यह भी तर्क है कि 13 मार्च को प्रदोषकाल में भद्रा होने से होलिका दहन नहीं होगा। लेकिन 14 मार्च को दिन में ही प्रतिपदा तिथि आ जाएगी और होलिका दहन रात को ही किया जान चाहिए और रात की पूर्णिमा 13 मार्च को ही रहेगी

साथ ही देर रात भद्रा खत्म होने के बाद होलिका दहन किया जा सकता है और होली के ठंडी होने के बाद धुलेंडी मनाई जा सकती है यानी रंग खेला जा सकता है। साथ ही होली दिन का त्योहार है, रात का नहीं। इसलिए होली 14 मार्च को मनाना चाहिए।

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