
राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद देशभर के राज्यों में सतर्कता बढ़ाई गई थी। उत्तराखंड में भी खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने निर्देश जारी करते हुए सभी दवा विक्रेताओं को केवल डॉक्टर के पर्चे पर ही कफ सिरप बेचने के आदेश दिए थे। लेकिन राजधानी देहरादून में यह आदेश कागज़ों तक ही सीमित नजर आ रहा है।
शहर के कई इलाकों में मेडिकल स्टोर्स पर अब भी बिना डॉक्टर के पर्चे के कफ सिरप बेचे जा रहे हैं। यह स्थिति न केवल विभागीय आदेशों की अनदेखी है बल्कि बच्चों की सेहत के लिए गंभीर खतरा भी साबित हो सकती है।
एफडीए की टीमों ने कुछ दिन पहले प्रदेशभर में निरीक्षण अभियान चलाकर सैंपल भी लिए थे। सूत्रों के अनुसार, अब तक 28 से अधिक सैंपल जांच के लिए देहरादून की राज्य औषधि प्रयोगशाला भेजे गए हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अगर जांच में नियमों का उल्लंघन पाया गया तो दोषी मेडिकल स्टोरों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बावजूद इसके, जमीनी हकीकत यह दिखाती है कि कई फार्मेसी दुकानों पर बिना किसी चिकित्सकीय परामर्श के बच्चों को दी जाने वाली दवाएं आसानी से उपलब्ध हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कफ सिरप का गलत उपयोग बच्चों के लिवर और किडनी पर असर डाल सकता है।
एफडीए की चेतावनी
एफडीए ने सभी दवा विक्रेताओं को दोबारा निर्देश जारी किए हैं कि बिना डॉक्टर के पर्चे के किसी भी प्रकार का कफ सिरप न बेचा जाए। उल्लंघन की स्थिति में मेडिकल स्टोर का लाइसेंस निरस्त करने सहित अन्य कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
स्थानीय अभिभावकों की चिंता
देहरादून के कई अभिभावकों ने कहा कि बच्चों के लिए दवाएं बिना पर्चे के आसानी से मिलना बेहद चिंताजनक है। उनका कहना है कि प्रशासन को सख्ती से जांच करनी चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।