
देहरादून की पहचान माने जाने वाले ऐतिहासिक घंटाघर की घड़ी अब फिर से समय बता रही है। कई महीनों से बंद पड़ी यह घड़ी शहरवासियों की शिकायतों के बाद जिलाधिकारी सविन बंसल की पहल पर दोबारा दुरुस्त की गई।
शहर के केंद्र में स्थित यह घड़ी देहरादून की धड़कन कही जाती है, लेकिन लंबे समय से इसके बंद रहने से स्थानीय लोगों में निराशा थी। जैसे ही घड़ी की मरम्मत पूरी हुई और इसकी घंटियां दोबारा बजनी शुरू हुईं, लोगों ने इसे शहर की “पुरानी धुन की वापसी” बताया।
जिलाधिकारी ने मामले की जानकारी मिलते ही तत्काल कार्रवाई करते हुए मरम्मत के लिए आवश्यक धनराशि स्वीकृत की। इसके बाद चेन्नई की प्रतिष्ठित इंडियन क्लॉक्स कंपनी को तकनीकी कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई। टीम ने घड़ी के वायरिंग सिस्टम, जीपीएस मॉड्यूल और बेल सिस्टम की खराबी को ठीक किया।
मरम्मत कार्य पूरा होने के बाद अब घड़ी पूरी तरह चालू है और शहरवासी घंटाघर से फिर से समय की सटीक ध्वनि सुन पा रहे हैं।
स्थानीय नागरिकों ने जिला प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि घंटाघर की घड़ी केवल एक यांत्रिक यंत्र नहीं, बल्कि देहरादून की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान है।
एडीएम प्रशासन ने बताया कि भविष्य में घड़ी की नियमित देखरेख के लिए भी एक टीम नियुक्त की जाएगी, ताकि यह प्रतीक हमेशा सक्रिय और सजीव बनी रहे।