सामाजिक

दिल्ली की नेहा खान ने अपनाया सनातन धर्म, बनीं नेहा शर्मा; पहलगाम आतंकी हमले से थीं आहत

दिल्ली की रहने वाली नेहा खान ने मंगलवार को पूरे विधिविधान के साथ हिंदू धर्म अपना लिया। पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले से आहत होकर नेहा ने हिंदू रक्षा दल से संपर्क कर यह कदम उठाया। धर्म परिवर्तन के बाद अब उनका नया नाम ‘नेहा शर्मा’ रखा गया है।

नेहा खान ने साहिबाबाद स्थित आर्य समाज मंदिर में मंत्रोच्चारण और धार्मिक विधियों के साथ सनातन धर्म को अपनाया। इस दौरान हिंदू रक्षा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पिंकी चौधरी भी मौजूद रहे। चौधरी ने बताया कि युवती दो दिन पहले उनके संपर्क में आई थी और उसने अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन की बात कही थी।

नेहा का कहना है कि पहलगाम की घटना ने उन्हें भीतर तक झकझोर दिया।
उनका कहना है, “मैंने अपनी मर्जी से सनातन धर्म को अपनाया है। किसी का कोई दबाव नहीं है। आतंकवाद ने इस देश को बर्बाद किया है। मुसलमानों ने हमारे पूर्वजों को धर्म बदलने पर मजबूर किया था। अब मैं घर वापसी कर रही हूं। मैं चाहती हूं कि सनातन धर्म ही इस धरती पर बचे।”

शिक्षा और पारिवारिक पृष्ठभूमि:
नेहा खान ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की है और एक शिक्षित परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) से सेवानिवृत्त हैं, जबकि माता गृहिणी हैं। एक वर्ष पहले उनकी शादी हुई थी, लेकिन तीन माह बाद ही उनका तलाक हो गया। तलाक के बाद से नेहा अपने मायके में रह रही थीं। तलाक के कारण और मुस्लिम समाज में आए अनुभवों ने भी उनके निर्णय को प्रभावित किया।

हिंदू रक्षा दल की भूमिका:
धर्म परिवर्तन के कार्यक्रम की पूरी जिम्मेदारी हिंदू रक्षा दल ने संभाली। संगठन ने न सिर्फ शुद्धिकरण और धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया करवाई, बल्कि सुरक्षा और रोजगार की जिम्मेदारी भी ली है। पिंकी चौधरी ने कहा कि नेहा ने ‘घर वापसी’ की है और संगठन ऐसे अन्य लोगों की भी मदद करेगा जो वापस सनातन धर्म में लौटना चाहते हैं।

नेहा की अपील:
नेहा ने कहा, “मैं अब सनातन धर्म का हिस्सा हूं। मुझे अपनी बहन मानें, मेरी रक्षा करें। मैं आतंकवाद के खिलाफ बोल रही हूं और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में लगूंगी।”

नेहा शर्मा (पूर्व में नेहा खान) का यह कदम एक संवेदनशील सामाजिक मुद्दे को उजागर करता है—धर्म, आतंकवाद, और व्यक्ति की व्यक्तिगत आस्था का अधिकार। यह मामला न केवल धार्मिक परिवर्तनों पर चर्चा को तेज करेगा, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण को भी प्रभावित कर सकता है।

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