
भारत अपनी सनातन संस्कृति, परंपराओं और आध्यात्मिक धरोहर के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इस संस्कृति के महान प्रचारक आदि गुरु शंकराचार्य जी थे, जिन्होंने अद्वैत वेदांत के माध्यम से भारतीय समाज को एकजुट किया और समूचे विश्व को अद्वैत दर्शन की अद्भुत सीख दी।
आदि गुरु शंकराचार्य जी ने भारत के चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना कर न केवल धार्मिक एकता को सुदृढ़ किया, बल्कि भारतीय संस्कृति को भी सशक्त आधार प्रदान किया। उनकी शिक्षाएँ आज भी सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों को आत्मसात करने की प्रेरणा देती हैं।
अब देशभर से यह मांग उठ रही है कि भारतीय मुद्रा (रुपये) पर आदि गुरु शंकराचार्य का चित्र अंकित किया जाए। इससे न केवल भारत की सनातन संस्कृति का गौरव बढ़ेगा, बल्कि भारत के “विश्वगुरु” बनने के स्वप्न को भी साकार करने में सहायता मिलेगी।
यह कदम युवा पीढ़ी को अपनी प्राचीन संस्कृति और ज्ञान परंपरा से जोड़ने का कार्य करेगा और भारतीय मूल्यों को विश्व पटल पर और अधिक मजबूती देगा। लोगों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सुझाव पर गंभीरता से विचार करेंगे और इस दिशा में उचित कदम उठाएंगे।
देश के विभिन्न संत-महात्मा, विद्वान, एवं सनातन संस्कृति प्रेमी इस मांग का समर्थन कर रहे हैं। उनका मानना है कि जिस प्रकार महात्मा गांधी, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और अन्य महान विभूतियों के चित्र भारतीय मुद्रा पर अंकित किए गए हैं, उसी प्रकार आदि गुरु शंकराचार्य को भी यह सम्मान मिलना चाहिए।