
देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार ने वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए देशभर में अपनी अलग पहचान बनाई है। केंद्र सरकार की नवीनतम वित्तीय मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार, विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों की श्रेणी में उत्तराखंड ने उल्लेखनीय सुधार और संतुलित आर्थिक नीति के बल पर शीर्ष स्थानों में जगह बनाई है।
राज्य सरकार की नीतियां, योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और राजकोषीय अनुशासन के चलते उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। सीमित संसाधनों के बावजूद राज्य ने राजस्व वृद्धि, व्यय नियंत्रण और ऋण प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन किया है
राज्य की आर्थिक मजबूती के प्रमुख कारण
राजकोषीय अनुशासन: सरकार ने बजट घाटा नियंत्रण में रखते हुए योजनागत और गैर-योजनागत व्यय के बीच संतुलन बनाए रखा।
राजस्व वृद्धि: कर संग्रह और गैर-कर राजस्व स्रोतों को बढ़ाने के लिए नीति स्तर पर कई सुधार लागू किए गए।
पारदर्शिता और डिजिटल शासन: ई-गवर्नेंस और डिजिटल भुगतान प्रणाली के प्रसार से सरकारी व्यय प्रक्रिया अधिक पारदर्शी हुई है।
कर्ज प्रबंधन में सुधार: राज्य ने ऋण भार कम करने के साथ दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों में बढ़ी उत्तराखंड की साख
उत्तराखंड का प्रदर्शन न केवल पहाड़ी राज्यों के लिए बल्कि देश के अन्य विशेष श्रेणी वाले राज्यों के लिए भी प्रेरणास्रोत माना जा रहा है। वित्तीय अनुशासन और बेहतर प्रशासनिक प्रबंधन के चलते राज्य अब आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है।
नीतिगत सुधारों का असर
धामी सरकार ने वित्तीय पारदर्शिता बढ़ाने, योजनाओं की मॉनिटरिंग को सुदृढ़ करने और खर्च की दक्षता में सुधार लाने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। इससे विकास परियोजनाओं की गति बढ़ी है और राज्य की वित्तीय साख को नई ऊँचाइयाँ मिली हैं।
आर्थिक विशेषज्ञों की राय
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड सरकार का यह प्रदर्शन नीति निर्माण और आर्थिक प्रबंधन में स्थिर दृष्टिकोण का परिणाम है। यदि यही रफ्तार बनी रही तो राज्य अगले कुछ वर्षों में आत्मनिर्भर राज्यों की श्रेणी में शामिल हो सकता है।