उत्तराखंड

प्लांट पैथोलॉजी और एंटोमोलॉजी में आणविक हस्तक्षेप‘‘ पर संभागीय वेबिनार

 

देहरादून।

वन संरक्षण प्रभाग, एफआरआई द्वारा गुरुवार को ‘‘प्लांट पैथोलॉजी और एंटोमोलॉजी में आणविक हस्तक्षेप‘‘ पर संभागीय वेबिनार का आयोजन किया गया था। वेबिनार में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने ऑनलाइन व ऑफलाइन भाग लिया। मुख्य अतिथि डॉ रेनू सिंह, निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून ने  वन पारिस्थितिकी तंत्र में पेड़ो मे कीट और बीमारियो के प्रबंधन में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग के भूमिका की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ. अमित पांडे, प्रभाग प्रमुख, वन संरक्षण प्रभाग ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और पेड़ों के वायरल रोगों के प्रबंधन में आने वाली चुनौतियों के बारे मे बताया। तकनीकी सत्र की शुरुआत डॉ. विनय के॰ कालिया, प्रधान वैज्ञानिक, आईएआरआई, नई दिल्ली द्वारा एंटोमोपैथोजेनिक बैक्टीरिया आधारित जैव कीटनाशकों में आणविक हस्तक्षेप पर प्रस्तुति के साथ हुई। उन्होंने कृषि फसलों और वन वृक्षों में कीटों की समस्या, उनसे निपटने के लिए उपलब्ध विकल्प, सिंथेटिक कीटनाशकों की विफलता और कीट नियंत्रण में एंटोमोपैथोजेनिक बैक्टीरिया के आइसोलेट्स की क्षमता के बारे में बताया। एक अन्य वक्ता, डॉ. एम गुरिवी रेड्डी, सहायक प्रोफेसर, ए.एन.जी.आर.ए.यू, तिरुपति ने प्रतिभागियों को पादप वायरल रोगों के प्रबंधन के लिए ब्त्प्ैच्त्ध्ब्ंे9 के अनुप्रयोग के बारे में बताया। उन्होंने केस स्टडीज प्रस्तुत की जहां ब्त्प्ैच्त्ध्ब्ंे9 का प्लांट वायरस के खिलाफ सफलतापूवर्क उपयोग किया गया था। डॉ. श्रुति गोदारा, वैज्ञानिक ने पौधों में वायरल रोगों के निदान के लिए उपयोग की जाने वाली विभिन्न आणविक तकनीक के उपयोग, गुण और दोषों का हवाला देते हुए बात की। कायर्क्रम के अंत मे वैज्ञानिक और आयोजन सचिव सुश्री जी एस उमा द्वारा कीट कीट प्रबंधन के लिए आरएनएआई के अनुप्रयोग के बारे में बताया और कीट प्रबंधन में इसकी आवश्यकता, कीड़ों में आरएनएआई तंत्र और प्रौद्योगिकी पर अब तक किए गए शोध पर चचार् की।  अंत में डॉ. रंजीत सिंह- वैज्ञानिक, एफ॰आर॰आई॰ द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ वेबिनार का समापन किया गया। सेमिनार में विभिन्न वरिष्ठ वैज्ञानिक जैसे डॉ. ए.पी. सिंह, डॉ. विपिन प्रकाश, डॉ. के.पी. सिंह, डॉ अरविंद कुमार, डॉ शैलेश पांडे और श्रीमती रंजना जुवाठा ने भी भाग लिया।

 

 

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