उत्तराखंडदेहरादून

उत्तराखंड में ई-गवर्नेंस को नई दिशा, वर्ल्ड बैंक से मिलेगी 680 करोड़ की सहायता

उत्तराखंड में ई-गवर्नेंस और वित्तीय पारदर्शिता को नई मजबूती मिलने जा रही है। केंद्र सरकार ने राज्य की सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (Public Financial Management System – PFMS) को और अधिक सक्षम, पारदर्शी व जवाबदेह बनाने के प्रस्ताव को विश्व बैंक के विचार के लिए अनुशंसा प्रदान कर दी है। इस परियोजना के तहत विश्व बैंक से राज्य को 680 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मिलने की उम्मीद है।

राज्य सरकार ने इस प्रस्ताव को केंद्र के समक्ष प्रस्तुत करते हुए आग्रह किया था कि उत्तराखंड की वित्तीय प्रबंधन प्रणाली को सुदृढ़ करने, सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ आमजन तक तेज़ी और पारदर्शिता से पहुंचाने के लिए आर्थिक सहयोग दिया जाए। केंद्र की स्वीकृति के बाद अब इस प्रस्ताव पर विश्व बैंक की अंतिम मुहर लगने की संभावना और प्रबल हो गई है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह कदम उत्तराखंड के वित्तीय सुधारों और सुशासन की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य है कि जनता के हित में खर्च होने वाला हर रुपया पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के साथ उपयोग हो।

मुख्यमंत्री ने बताया कि विश्व बैंक की यह संभावित सहायता राज्य की वित्तीय प्रणालियों को डिजिटल, सुदृढ़ और परिणामोन्मुख (Outcome-Oriented) बनाएगी। इस परियोजना से राजकोषीय अनुशासन, वित्तीय पारदर्शिता और सेवा वितरण तंत्र की गुणवत्ता में व्यापक सुधार होगा।

यह परियोजना उत्तराखंड के ई-गवर्नेंस और डिजिटल पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट को नई दिशा देगी। इसके तहत राज्य के सभी विभागों में रियल टाइम मॉनिटरिंग, रिपोर्टिंग प्रणाली, डिजिटल भुगतान व्यवस्था, और संसाधनों के कुशल उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।

सरकार का मानना है कि इस पहल से न केवल वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि योजनाओं का लाभ भी समयबद्ध तरीके से आम नागरिकों तक पहुंच सकेगा। परियोजना लागू होने के बाद उत्तराखंड प्रशासन में डेटा आधारित निर्णय प्रक्रिया, ई-ऑफिस व्यवस्था, और ऑटोमेटेड फाइनेंसियल ट्रैकिंग सिस्टम जैसी आधुनिक व्यवस्थाओं को भी सशक्त किया जाएगा।

राज्य सरकार के अनुसार, यह परियोजना उत्तराखंड को डिजिटल सुशासन के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों की श्रेणी में ले जाएगी, जिससे विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में गति और दक्षता दोनों बढ़ेंगी।

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