
देहरादून: उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद द्वारा 11वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के उपलक्ष्य में मुख्य सेवक सदन, देहरादून में बुनकर सम्मान कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रदेश के सीमांत जिलों से आए 272 से अधिक पारंपरिक बुनकरों और शिल्पकारों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए राज्य स्तरीय सम्मान प्रदान किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शामिल हुए। विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद के राज्यमंत्री वीरेंद्र दत्त सेमवाल, नैनीताल विधायक सरिता आर्य, बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना तथा राज्यमंत्री मधु भट्ट मंच पर उपस्थित रहीं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड का हथकरघा और हस्तशिल्प राज्य की सांस्कृतिक आत्मा है और यह हमारी परंपरा की पहचान है। उन्होंने कहा कि प्रदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल मंत्र को आत्मसात कर आत्मनिर्भर भारत की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। धामी ने बताया कि पिथौरागढ़ की शॉल, चमोली का दन और हर्सिल की ऊन आज वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी हैं। राज्य सरकार पारंपरिक शिल्प और बुनकर समुदाय को प्रोत्साहन देने के लिए निरंतर कार्य कर रही है, ताकि उनकी कला को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उचित स्थान मिल सके।
राज्यमंत्री वीरेंद्र दत्त सेमवाल ने कहा कि उत्तराखंड की ऊन न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध है, बल्कि इसमें औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। हिमालयी भेड़ें जड़ी-बूटियों का सेवन करती हैं, जिससे उत्पादित ऊन को हिमालयी हर्बल ऊन के रूप में वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
इस कार्यक्रम का आयोजन उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद, बुनकर सेवा केंद्र चमोली तथा विकास आयुक्त (हथकरघा) वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से संपन्न हुआ। आयोजन में परिषद के सभी जिलों के जिला महाप्रबंधक, बुनकर सेवा केंद्रों के प्रतिनिधि और सैकड़ों की संख्या में बुनकर एवं शिल्पकार उपस्थित रहे। इस अवसर पर पारंपरिक हथकरघा उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
यह आयोजन उत्तराखंड की समृद्ध शिल्प परंपरा को संरक्षित करने, पारंपरिक बुनकरों को उचित सम्मान दिलाने तथा उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाने की दिशा में एक प्रभावी पहल सिद्ध हुआ।