
देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने एक बार फिर भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर राज्य सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि ट्रिपल इंजन सरकार (केंद्र, राज्य और सहयोगी भाजपा शासित उत्तर प्रदेश सरकार) के बावजूद उत्तराखंड को आज तक उसका हक नहीं मिला।
हरीश रावत ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में भाजपा के एक शीर्ष मंत्री और आध्यात्मिक महापुरुष के बयान का हवाला देते हुए कहा कि नौ साल से परिसंपत्तियों के बंटवारे की बात हो रही है, लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “हमारी सिंगल इंजन की सरकार थी, फिर भी हमने परिसंपत्तियों को हासिल किया। लेकिन अब जब डबल और ट्रिपल इंजन की सरकारें हैं, तब भी उत्तराखंड को खाली हाथ रहना पड़ रहा है।“
पूर्व सीएम ने आरोप लगाया कि भाजपा शासनकाल में उत्तराखंड को न केवल उसके हक के पैसे नहीं मिले, बल्कि जल संपत्तियों के बंटवारे में भी राज्य को पीछे धकेल दिया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि हरिद्वार, बदरीनाथ और केदारनाथ जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों की बहुमूल्य भूमियों को उत्तर प्रदेश को सौंप दिया गया।
हरीश रावत ने देहरादून में नाले-खालों और सरकारी भूमि पर बनी बस्तियों पर भी सरकार की कार्रवाई को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि रिस्पना और बिंदाल नदी किनारे बसे गरीबों के घरों पर निशान लगाए जा रहे हैं, जबकि बड़ी-बड़ी अवैध इमारतों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
उन्होंने कहा, “गरीबों में दहशत है। ये वे लोग हैं जो वर्षों से बिजली-पानी के बिल जमा कर रहे हैं और अन्य सभी औपचारिकताएं पूरी करते आ रहे हैं।“
रावत ने इस स्थिति के खिलाफ 20 अप्रैल को आवाज उठाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि वह किस रूप में विरोध दर्ज कराएंगे, यह वह जल्द तय करेंगे।