उत्तराखंडदेहरादून

मुख्यमंत्री धामी ने 16वें वित्त आयोग के समक्ष रखी राज्य की जरूरतें, पर्यावरणीय सेवाओं और आपदा राहत के लिए विशेष क्षतिपूर्ति की मांग

देहरादून — उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को राज्य सचिवालय में आयोजित 16वें वित्त आयोग की बैठक में भाग लेते हुए राज्य की आर्थिक स्थिति, विकास की चुनौतियों और पर्यावरणीय योगदान को ध्यान में रखते हुए विशेष सहायता की पुरजोर मांग की। बैठक की अध्यक्षता वित्त आयोग के चेयरमैन डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने की, जिसमें आयोग के अन्य सदस्य और वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड एक पर्यावरणीय रूप से समृद्ध राज्य है, जहां 70% से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वनों से आच्छादित है। ऐसे में राज्य पर्यावरणीय सेवाएं देश को प्रदान कर रहा है, जिसके लिए उसे उचित क्षतिपूर्ति मिलनी चाहिए। उन्होंने पर्यावरणीय संघवाद की भावना को ध्यान में रखते हुए कर हस्तांतरण में वन आच्छादन के भार को 20% तक बढ़ाने और वन संरक्षण के लिए विशेष अनुदान की मांग की।

जल विद्युत परियोजनाओं और प्राकृतिक संसाधनों के मुद्दे

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किए जाने के बाद राज्य में जल विद्युत परियोजनाओं की संभावनाएं सीमित हो गई हैं। इससे न केवल राजस्व में कमी आई है, बल्कि रोजगार सृजन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उन्होंने इन परियोजनाओं के नुकसान की भरपाई के लिए एक ठोस क्षतिपूर्ति मैकेनिज्म तैयार करने का सुझाव दिया।

फ्लोटिंग पापुलेशन और अवस्थापना चुनौतियां

धामी ने कहा कि उत्तराखंड एक प्रमुख पर्यटन और धार्मिक स्थल है, जहां बड़ी संख्या में बाहरी आबादी का आगमन होता है। इस ‘फ्लोटिंग पापुलेशन’ के कारण स्वास्थ्य, परिवहन, जल आपूर्ति और कचरा प्रबंधन जैसी सेवाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इसलिए राज्य को अवस्थापना विकास के लिए विशेष सहायता दी जानी चाहिए।

आपदा प्रबंधन के लिए सतत आर्थिक सहयोग की अपील

मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड को भूकंप, भूस्खलन, हिमस्खलन और बादल फटने जैसी आपदाओं के लिहाज से अति संवेदनशील बताते हुए कहा कि इन आपदाओं से निपटने के लिए राज्य को स्थायी आर्थिक सहयोग की जरूरत है। उन्होंने जल संरक्षण एवं जल स्रोतों के पुनर्जीवन के लिए चलाए जा रहे ‘भागीरथ एप’ और ‘सारा’ योजना का भी उल्लेख किया।

राजस्व आवश्यकता अनुदान की वकालत

धामी ने राजस्व घाटा अनुदान की जगह ‘राजस्व आवश्यकता अनुदान’ की मांग करते हुए कहा कि उत्तराखंड की भौगोलिक बनावट के कारण यहां पूंजीगत खर्च और अनुरक्षण लागत अपेक्षाकृत अधिक है। ऐसे में इस विशेष परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए अनुदान नीति में बदलाव किया जाना जरूरी है।

राज्य की आर्थिक उपलब्धियां और भविष्य की जरूरतें

मुख्यमंत्री ने राज्य की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उत्तराखंड की बेरोजगारी दर में 4.4% की कमी आई है, जबकि प्रति व्यक्ति आय में 11.33% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। राज्य का बजट अब एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का हो गया है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि औद्योगिक रियायत पैकेज खत्म होने के बाद राज्य को आवंटन संबंधी नुकसान झेलना पड़ रहा है, जिसे दूर करने के लिए विशेष प्रावधान जरूरी हैं।

वित्त आयोग ने दी सकारात्मक प्रतिक्रिया

बैठक के दौरान आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि उत्तराखंड सहित अन्य पर्वतीय राज्यों की समस्याएं विशिष्ट हैं और उनके समाधान के लिए व्यापक दृष्टिकोण से विचार किया जाएगा। बैठक में आयोग के सदस्य डॉ. सौम्या कांति घोष, डॉ. मनोज पांडा, ऐनी जॉर्ज मैथ्यू, सचिव ऋत्विक पांडेय और संयुक्त सचिव केके मिश्रा भी उपस्थित रहे।

वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी

बैठक में राज्य के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव वित्त दिलीप जावलकर, एल. फैनई, आर. मीनाक्षी सुंदरम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। सचिव वित्त ने राज्य की वित्तीय चुनौतियों पर एक विस्तृत प्रस्तुतीकरण भी दिया।

मुख्यमंत्री धामी की यह पहल पर्वतीय राज्यों की विशेष परिस्थितियों को राष्ट्रीय वित्तीय संरचना में उचित स्थान दिलाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है। अब देखना यह है कि 16वां वित्त आयोग इन सुझावों को कितनी प्राथमिकता देता है और नीति निर्धारण में क्या बदलाव लाता है।

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