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कुल्लू बादल फटने की त्रासदी: सैंज घाटी में तबाही, सात पुल और चार मकान बह गए, तीन लोगों की मौत

हिमाचल प्रदेश : हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की सैंज घाटी में जीवानाला पर बादल फटने से भारी तबाही मच गई है। बुधवार दोपहर बाद आई बाढ़ ने पल भर में सात पैदल पुल, चार मकान और तीन लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। जीवानाला से लेकर लारजी तक बने सात पैदल पुल बह गए हैं, जिससे घाटी के कई गांवों का संपर्क पूरी तरह से टूट गया है। बिहाली गांव में चार मकान बाढ़ की भेंट चढ़ गए, जिनमें तीन लोग भी बह गए हैं। साथ ही, लोगों की खेती योग्य जमीन और कई संपत्तियां भी नदी में समा गई हैं।

सिउंड क्षेत्र में एनएचपीसी कॉलोनी में पानी घुस गया, वहीं एक अस्थायी दुकान बहने की भी खबर है। सिउंड के पास सड़क को भारी नुकसान पहुंचा है, जिससे आवागमन ठप हो गया है। सैंज के पास एक मालवाहक वाहन भी सड़क से नदी में बह गया। बंजार के हुरनगाड में पुलिया बहने से वहां भी संपर्क मार्ग कट गया है। उल्लेखनीय है कि दो साल पहले भी जीवानाला में इसी तरह की तबाही मच चुकी है, जिसने सिउंड गांव को तबाह कर दिया था। अब एक बार फिर उसी तरह की विभीषिका ने लोगों को भयभीत कर दिया है।

बादल फटने की एक और घटना सोलंगनाला के पास अंजनी नाला में दर्ज की गई, जहां अचानक जलस्तर बढ़ने से ब्यास नदी का स्तर भी कई गुना बढ़ गया। बाहंग में ब्यास के तेज बहाव में खेख राम की चार दुकानें बह गईं। ये दुकानें जोगी राम, कृष्ण और पवन ने किराये पर ली थीं, जिनमें से तीन में स्नो ड्रेस का काम होता था और एक स्टेशनरी की दुकान थी। दुकान का सारा सामान ब्यास नदी में बह गया।

बादल फटने की खबर के बाद प्रशासन सतर्क हो गया है। एसडीएम मनाली रमण कुमार शर्मा और डीएसपी केडी शर्मा मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। प्रशासन ने बाहंग क्षेत्र के लोगों को तुरंत मकान और दुकानें खाली करने के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि अंजनी नाला में जलस्तर या तो बादल फटने या फिर ग्लेशियर टूटने की वजह से बढ़ा, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है।

सैंज घाटी में लगातार तीसरे साल भारी बारिश और प्राकृतिक आपदाओं का कहर जारी है। इस बार की त्रासदी ने करीब 25 किलोमीटर के दायरे में बसे गांवों और सैंज बाजार के लोगों को मजबूर कर दिया कि वे अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भागें। लोग वाहन और पैदल रास्तों से पहाड़ियों की ओर निकलते देखे गए। यह त्रासदी सैंज घाटी के लिए एक बार फिर दर्दनाक यादें छोड़ गई है।

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