उत्तराखंड

उत्तराखंड विधानसभा में भू-कानून बिल पास: जानिए नए नियम और इतिहास

उत्तराखंड सरकार ने राज्य में भूमि खरीद संबंधी नियमों को सख्त बनाने के लिए नया भू-कानून पारित कर दिया है। इस बिल के तहत बाहरी राज्यों के लोगों द्वारा कृषि और आवासीय भूमि खरीदने पर सख्त नियम लागू किए गए हैं। यह कानून राज्य में जमीन की अनियंत्रित बिक्री को रोकने और स्थानीय निवासियों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से लाया गया है।

भू-कानून को लेकर सरकार का प्रयास

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार पिछले तीन वर्षों से इस कानून पर काम कर रही थी। वर्ष 2022 में सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी, जिसने 5 सितंबर 2022 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। समिति ने 23 सिफारिशें दी थीं, जिनका अध्ययन करने के लिए एक उच्च स्तरीय प्रवर समिति भी बनाई गई थी।

भू-कानून के नए नियम

  1. बाहरी राज्यों के लिए प्रतिबंध – हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर को छोड़कर अन्य 11 जिलों में बाहरी राज्यों के लोग कृषि और बागवानी के लिए भूमि नहीं खरीद सकेंगे।
  2. आवासीय भूमि की सीमा – बाहरी राज्यों के लोग, नगर निकाय क्षेत्रों को छोड़कर, केवल 250 वर्ग मीटर भूमि ही खरीद सकते हैं। इसके लिए उन्हें अनिवार्य शपथपत्र देना होगा।
  3. औद्योगिक प्रयोजन के लिए छूट – औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भूमि खरीद के नियम पूर्ववत रहेंगे।
  4. अनुमति प्रक्रिया – हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में कृषि व बागवानी के लिए जमीन खरीदने के लिए अब जिलाधिकारी नहीं, बल्कि शासन स्तर से अनुमति मिलेगी।
  5. सीलिंग समाप्त – 11 जिलों में 12.5 एकड़ भूमि की सीमा समाप्त कर दी गई है, जबकि हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में इस सीमा को बरकरार रखा गया है।
  6. शपथपत्र अनिवार्यता – खरीदार को यह शपथपत्र देना होगा कि वह भूमि का उपयोग निर्धारित प्रयोजन के लिए ही करेगा। यदि उल्लंघन होता है, तो भूमि सरकार के अधीन हो जाएगी।
  7. पोर्टल के माध्यम से निगरानी – भूमि खरीद की पूरी प्रक्रिया की निगरानी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जाएगी, और जिलाधिकारी नियमित रूप से इसकी रिपोर्ट शासन को भेजेंगे।
  8. नगर निकायों में भू-उपयोग नियम – नगर निकाय सीमा के अंतर्गत भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू-उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा।

भू-कानून क्यों जरूरी था?

उत्तराखंड में बाहरी लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर भूमि खरीदने की प्रवृत्ति बढ़ रही थी, जिससे स्थानीय लोगों के लिए भूमि की उपलब्धता प्रभावित हो रही थी। इसके अलावा, कई मामलों में खरीदी गई कृषि भूमि का गैर-कृषि कार्यों में उपयोग किया जा रहा था। इस नए कानून से स्थानीय किसानों और आम नागरिकों के हितों की रक्षा होगी।

उत्तराखंड का नया भू-कानून राज्य में भूमि की अनियंत्रित खरीद-बिक्री पर रोक लगाने और स्थानीय लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कानून के लागू होने से राज्य की प्राकृतिक और सांस्कृतिक संपदा को भी संरक्षित करने में मदद मिलेगी।

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