उत्तराखंडसामाजिक

श्रद्धा पूर्वक मनाया गया छोटे साहिबजादो व माता गुजर कौर का शहीदी दिवस 

देहरादून

प्रात: नितनेम के पश्चात हज़ूरी रागी भाई कवरपाल सिंह जी ने आसा दी वार का शब्द “पहिला मरण कबूल जीवण की छडि आस” व “मन रे कउन कुमत तै लीनी” का गायन किया,

कार्यक्रम में विशेष रूप से गुरुद्वारा साहिब जी के हैंड ग्रंथी ज्ञानी शमशेर सिंह ने कहा गुरु गोविन्द सिंह जी के छोटे साहिबजादो ने सुंबा सरहिंद की गुलामी नहीं स्वीकार की, हमें सबको अपने धर्म में पके रहने की शिक्षा दी, हंसते हुए दीवार में चिनवा कर देश धर्म के लिए शहादत दी।। विशेष रूप से आए हुए भाई जगजीत सिंह जी के जत्थे ने ‘मरन मुणसा सुरिआ हक है जो होइ मरन परवाणो’ व ‘ऐसी मरनी जो मरै बहुरि न मरना होइ’ का शब्द तथा सिमरन गायन किया ।

हैंड ग्रंथी भाई शमशेर सिंह जी ने सरबत के भले के लिए अरदास की, प्रधान, गुरबख्श सिंह राजन जी व जनरल सेक्रेटरी गुलज़ार सिंह जी द्वारा संगतों के साथ मिलकर साहिबजादो व माता गुजर कौर जी की शहादत को प्रणाम किया ।

कार्यक्रम के पश्चात संगत ने गुरु का लंगर व प्रशाद ग्रहण किया। इस अवसर पर सरदार गुरबख्श सिंह राजन अध्यक्ष, गुलज़ार सिंह महासचिव, चरणजीत सिंह उपाध्यक्ष,सेवा सिंह मठारु,गुरप्रीत सिंह जौली, सतनाम सिंह, विजय पाल सिंह,तिलक राज कालरा, दविंदर सिंह सहदेव,राजिंदर सिंह राजा, गुरनाम सिंह, अविनाश सिंह, अरविंदर सिंह आदि उपस्थित रहे।।

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