
देहरादून: उत्तराखंड में तैनात लगभग 22 हजार उपनल कर्मियों के भविष्य को लेकर अब जल्द बड़ा निर्णय होने की संभावना है। राज्य सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए एक मंत्रिमंडलीय उप समिति गठित करने का निर्णय लिया है। यह समिति दो माह के भीतर अपनी रिपोर्ट कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत करेगी।
प्रदेश के विभिन्न विभागों में कार्यरत उपनल कर्मियों के विनियमितीकरण को लेकर लंबे समय से मांग उठती रही है। हाल ही में हाईकोर्ट ने सरकार को इस मुद्दे पर शीघ्र निर्णय लेने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस विषय पर विस्तृत चर्चा हुई।
बैठक में तय किया गया कि उपनल कर्मियों की संख्या और उनकी सेवा अवधि को ध्यान में रखते हुए एक कट-ऑफ डेट निर्धारित की जाएगी, ताकि विनियमितीकरण की प्रक्रिया को स्पष्ट रूपरेखा मिल सके। साथ ही, हाईकोर्ट के आदेशों का समयबद्ध अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।
गठित की गई उप समिति सभी हितधारकों, विभागीय अधिकारियों और विधि विशेषज्ञों से राय लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। इसके बाद यह रिपोर्ट कैबिनेट के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत की जाएगी।
इसके अलावा, कैबिनेट ने यह भी निर्णय लिया है कि अब विदेश में रहने वाले पूर्व सैनिकों को भी उपनल के माध्यम से रोजगार के अवसर मिल सकेंगे। साथ ही, यदि भविष्य में उपनल संस्था भंग होती है तो उसकी संपत्ति सैनिक कल्याण एजेंसी को हस्तांतरित की जाएगी।
कैबिनेट ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उप समिति के सदस्यों के चयन का अधिकार दिया है। सरकार का कहना है कि उपनल कर्मियों से जुड़ी समस्याओं का समाधान पारदर्शी और न्यायसंगत तरीके से किया जाएगा, ताकि किसी भी कर्मचारी के हित प्रभावित न हों।