
चमोली (उत्तराखंड)। उत्तराखंड के चमोली जिले के नंदानगर थाना क्षेत्र से एक हृदय विदारक मामला सामने आया है, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। यहां एक विधवा महिला ने अपनी नवजात बेटी को जन्म देने के बाद उसे जीते जी गोबर के ढेर में दबा दिया। तीन दिन बाद जब इस घटना की भनक गांव वालों को लगी, तो पुलिस को सूचना दी गई। महिला ने पूछताछ में अपराध स्वीकार कर लिया, जिसके बाद पुलिस ने गोबर के ढेर से बच्ची का शव बरामद किया और महिला को गिरफ्तार कर लिया।
गांव की महिलाओं को हुआ शक, खुला मामला
यह घटना नंदानगर थाना क्षेत्र के एक छोटे से गांव की है, जहां बुधवार को एक विधवा महिला ने बच्ची को जन्म दिया था। लेकिन उसने इस बात को छिपाकर रखा। उसकी शारीरिक स्थिति देखकर गांव की कुछ महिलाओं को संदेह हुआ। उन्होंने अपनी आशंका स्थानीय पुलिस को बताई। पुलिस गुरुवार को गांव पहुंची और महिला से पूछताछ शुरू की।
स्वीकार किया जुर्म, गोबर के ढेर में मिला शव
थानाध्यक्ष नरेंद्र सिंह रावत के अनुसार, पूछताछ के दौरान महिला ने यह स्वीकार किया कि उसने नवजात को गोबर के ढेर में दबा दिया था। महिला की निशानदेही पर पुलिस ने मौके पर जाकर गोबर के ढेर से नवजात बच्ची का शव बरामद कर लिया। बच्ची की मौत की पुष्टि के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल गोपेश्वर भेजा गया।
पति की पहले हो चुकी है मौत, पिता का नाम छुपा रही है महिला
पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी महिला विधवा है और उसके पहले से तीन बच्चे हैं। उसके पति की मौत कई साल पहले हो चुकी थी। अब पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि नवजात का पिता कौन है। लेकिन पूछताछ के बावजूद महिला नवजात के पिता की जानकारी देने से बच रही है। पुलिस की टीम इस दिशा में जांच कर रही है।
मानवता की मिसाल बने पार्षद, किया नवजात का अंतिम संस्कार
पोस्टमार्टम के बाद अस्पताल में नवजात के अंतिम संस्कार को लेकर एक और परेशानी खड़ी हो गई, क्योंकि वहां उसका कोई परिजन मौजूद नहीं था। इस स्थिति में सुभाषनगर वार्ड के पार्षद सूर्य प्रकाश पुरोहित और पाडुली के पार्षद दीपक बिष्ट ने मानवीय संवेदना दिखाते हुए बच्ची का अंतिम संस्कार किया।
पार्षद दीपक बिष्ट ने बताया, “हमें जब अस्पताल से जानकारी मिली कि नवजात का कोई परिजन नहीं है, तो हम तुरंत पहुंचे। यह एक मानवीय कर्तव्य था, इसलिए हमने बच्ची का अंतिम संस्कार किया।”
पुलिस कर रही आगे की जांच
फिलहाल महिला पुलिस हिरासत में है और मामले की गहन जांच जारी है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या यह हत्या जानबूझकर की गई थी या महिला मानसिक दबाव या किसी सामाजिक दबाव के चलते ऐसा कदम उठाने को मजबूर हुई।
यह मामला केवल एक अपराध नहीं, बल्कि समाज के उस क्रूर चेहरे को भी उजागर करता है, जहां एक महिला को अपनी संतान को जन्म देने के बाद भी उसे स्वीकारने का अधिकार नहीं मिलता। पुलिस से लेकर जनप्रतिनिधियों तक, अब सभी की जिम्मेदारी है कि ऐसे मामलों में न्याय हो और आगे कोई और नवजात इस तरह की दरिंदगी का शिकार न हो।