तमसा नदी का रौद्र रूप: टपकेश्वर मंदिर में तबाही, हनुमानजी की मूर्ति तक पहुंचा पानी

देहरादून: टपकेश्वर मंदिर में तड़के सुबह चार बजे तमसा नदी का जलस्तर अचानक बढ़ना शुरू हो गया। देखते ही देखते नदी ने विकराल रूप ले लिया। मंदिर में स्थापित करीब 25 फीट ऊंची हनुमानजी की मूर्ति के गले तक पानी पहुंच गया।
सुबह आठ बजे जलस्तर घटा तो मंदिर परिसर का नजारा किसी तबाही से कम नहीं था। मुख्य मंदिर में मलबा भरा मिला, बाहर बड़े-बड़े पेड़ और बोल्डर पड़े थे। कई जगह रेलिंग टूटी और दीवारें क्षतिग्रस्त पाई गईं। रास्ते तक मलबे से बंद हो गए थे।
आपदा की खबर सुन दौड़े लोग
सुबह जैसे ही आपदा की खबर फैली, लोग मंदिर की ओर भागे। हालांकि गेट पर पहले ही बैरिकेडिंग कर रास्ते बंद कर दिए गए थे। सेवादार लगातार लोगों को चेतावनी देकर मंदिर में प्रवेश से रोकते रहे क्योंकि बहाव बेहद तेज था।
हैरान कर देने वाला जलस्तर
तमसा नदी का जलस्तर देखकर हर कोई हैरान रह गया। लोगों ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किए, जिनमें मूर्ति के गले तक पानी दिखाई दे रहा था।
“मन में पीड़ा के अलावा कुछ नहीं” – महंत कृष्णा गिरी
मंदिर के महंत कृष्णा गिरी ने कहा कि आपदा के बाद मंदिर में कुछ भी सुरक्षित नहीं बचा। बाबा के शृंगार समेत बहुत कुछ नष्ट हो गया है, लेकिन यह राहत की बात है कि जनहानि नहीं हुई और सभी सुरक्षित हैं।
“ऐसा विकराल रूप पहले कभी नहीं देखा” – आचार्य बिपिन जोशी
आचार्य डॉ. बिपिन जोशी ने कहा कि बीते 25 वर्षों में ऐसा विकराल रूप कभी नहीं देखा। मंदिर का गर्भगृह सुरक्षित है और भगवान शिव की कृपा रही कि कोई जनहानि नहीं हुई। उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में जो पुल ढहा है, वह 1962 में गोरखा रेजिमेंट द्वारा बनाया गया था। यह पुल टपकेश्वर मंदिर को माता वैष्णो देवी गुफा, केवि बीरपुर गेट और आर्मी कैंट से जोड़ता था।
उन्होंने मांग की कि चूंकि 22 सितंबर से नवरात्र शुरू होने वाले हैं, इसलिए भक्तों की सुविधा के लिए फिलहाल अस्थायी पुल कानिर्माण कराया जाए।