
नई दिल्ली, 14 मई 2025 — पाकिस्तान में लगभग तीन सप्ताह तक हिरासत में रहने के बाद, बीएसएफ कांस्टेबल पूर्णम कुमार शॉ को आज सुबह 10:30 बजे अटारी-वाघा सीमा पर भारत को सौंप दिया गया। यह सौंपा जाना शांतिपूर्ण ढंग से और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार संपन्न हुआ, जैसा कि सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने पुष्टि की है।
घटना का विवरण
23 अप्रैल 2025 को, पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में ऑपरेशनल ड्यूटी के दौरान, पूर्णम कुमार शॉ गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पाकिस्तान में प्रवेश कर गए थे। उन्हें पाकिस्तान रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया था। यह घटना कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के ठीक अगले दिन हुई थी, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी।
परिवार की चिंता और राज्य सरकार की पहल
पूर्णम की पत्नी, रजनी शॉ, जो गर्भवती हैं, ने अपने पति की सुरक्षित वापसी के लिए लगातार प्रयास किए। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सहायता की अपील की। मुख्यमंत्री ने रजनी को आश्वस्त किया कि उनके पति सुरक्षित हैं और सरकार उनकी वापसी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
कूटनीतिक प्रयास और सीमा पर संवाद
बीएसएफ ने पाकिस्तान रेंजर्स के साथ नियमित फ्लैग मीटिंग्स और अन्य संचार माध्यमों के माध्यम से संवाद बनाए रखा। हालांकि, प्रारंभ में पाकिस्तान की ओर से सहयोग की कमी देखी गई, लेकिन बाद में दोनों पक्षों के बीच संवाद स्थापित हुआ, जिससे जवान की वापसी संभव हो सकी।
सौंपे जाने की प्रक्रिया
14 मई को सुबह 10:30 बजे, अटारी-वाघा सीमा पर संयुक्त चेक पोस्ट के माध्यम से, पाकिस्तान रेंजर्स ने पूर्णम कुमार शॉ को भारतीय अधिकारियों को सौंपा। यह प्रक्रिया शांतिपूर्ण ढंग से और निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार पूरी हुई।
आगे की प्रक्रिया
वापसी के बाद, बीएसएफ ने पुष्टि की है कि जवान को चिकित्सकीय जांच और आवश्यक पूछताछ के लिए रखा गया है। उनकी स्वास्थ्य स्थिति सामान्य बताई गई है।
पूर्णम कुमार शॉ की सुरक्षित वापसी न केवल उनके परिवार के लिए राहत की बात है, बल्कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच मानवीय आधार पर संवाद और सहयोग का एक सकारात्मक उदाहरण भी है। यह घटना दर्शाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी कूटनीतिक प्रयास और संवाद से समाधान संभव है।