उत्तराखंड

उत्तराखंड वन विकास निगम में करोड़ों का घोटाला आया सामने, घपले में दो कर्मचारी निलंबित

वन विकास निगम में गबन और वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया था। रिपोर्ट में कहा गया कि अभिलेखों की जांच के दौरान पाया गया कि लेजर तैयार करने में नियमों का पालन नहीं हुआ

उत्तराखंड राज्य वन विकास निगम के लालकुआं डिपो चार और पांच में करोड़ों के घपले का मामला 16 मई को अमर उजाला में प्रमुखता से प्रकाशित होने के बाद निगम ने डिपो के दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया, जबकि वन मुख्यालय ने प्रभागीय विक्रय प्रबंधक को आरोपपत्र दिया है।

वन विकास निगम की विशेष ऑडिट रिपोर्ट में लकड़ी की अवैध निकासी, गबन और वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया था। रिपोर्ट में कहा गया कि अभिलेखों की जांच के दौरान पाया गया कि लेजर तैयार करने में नियमों का पालन नहीं हुआ। यह भी पाया गया कि लाट का मूल्य जीएसटी की खतौनी में लाट संख्या का उल्लेख नहीं है।

क्रेताओं के खातों में दिखाई गई 27 लाख से अधिक की क्रेडिट धनराशि का समायोजन नहीं किया गया। नीलामी में जिस लॉट को 26,800 रुपये में बेचा गया, वह मास्टर कॉपी में यह धनराशि दर्ज है, लेकिन विक्रय लॉट रजिस्टर में फ्लूड लगाकर ओवरराइटिंग करते हुए विक्रय मूल्य कम दिखाकर निगम को क्षति पहुंचाई गई। ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा भी कई अन्य गड़बड़ी पकड़ में आई।

महाप्रबंधक कुमाऊं मंडल महेश आर्या ने कहा, मामले में जो लोग सीधे तौर पर जिम्मेदार थे, उन्हें निलंबित कर दिया गया है। लेखाकार नरेश कुमार और स्केलर नीरज गुणवंत को निलंबित कर वन विकास निगम के खनन नंधौर से संबद्ध किया गया है।

जिन दो कर्मियों को निलंबित किया गया है, उन्हें आपत्तियों का जवाब देने के लिए समय दिया गया था, संतोषजनक जवाब न मिलने पर निलंबित किया गया है। वहीं, वन निगम मुख्यालय ने प्रभागीय विक्रय प्रबंधक अनिल कुमार को आरोपपत्र दिया गया है।

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