
देहरादून | 17 दिसंबर 2025: उत्तराखण्ड राज्य निगम कर्मचारी महासंघ की एक महत्वपूर्ण बैठक बुधवार को उत्तराखण्ड रोडवेज इम्पलाइज यूनियन के प्रान्तीय कार्यालय, 66 गांधी रोड, देहरादून में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रकाश राणाकोटी ने की, जबकि संचालन प्रदेश महामंत्री नन्दलाल जोशी ने किया।
बैठक में महासंघ से जुड़े सभी घटक संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष, महामंत्री, कार्यकारिणी पदाधिकारी एवं सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। उत्तराखण्ड परिवहन निगम, जल संस्थान, मसूरी–देहरादून विकास प्राधिकरण, स्वजल, वन विकास निगम, गढ़वाल मंडल विकास निगम, दुग्ध संघ, जिला पंचायत, बहुउद्देशीय वित्तीय विकास निगम सहित विभिन्न निगमों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बैठक में सभी निगमों से जुड़ी लंबित समस्याओं को लेकर सरकार की उदासीनता पर नाराजगी जताई गई। महासंघ ने बताया कि 09 अक्टूबर 2024 को मुख्यमंत्री को पत्र संख्या 37 के माध्यम से विस्तृत मांगपत्र भेजा गया था, लेकिन अब तक न तो वार्ता हुई और न ही कोई ठोस कार्रवाई की गई।
महासंघ ने निर्णय लिया कि एक बार फिर मुख्यमंत्री को मांगपत्र भेजकर शीघ्र समाधान की मांग की जाएगी। बैठक में कर्मचारियों के विनियमितिकरण का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया। महासंघ ने संविदा, तदर्थ, अंशकालिक, दैनिक वेतनभोगी, वर्कचार्ज एवं उपनल कर्मचारियों के विनियमितिकरण के लिए निर्धारित कटऑफ तिथि 04 दिसंबर 2018 पर पुनर्विचार की मांग की। महासंघ का कहना है कि वन टाइम सेटलमेंट के तहत इस तिथि को बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 किया जाना चाहिए।
उत्तराखण्ड परिवहन निगम में कार्यरत विशेष श्रेणी के चालक, परिचालक एवं बाह्य स्रोत से कार्यरत तकनीकी कर्मचारियों को विनियमितिकरण नियमावली से बाहर रखे जाने पर भी कड़ा विरोध दर्ज कराया गया। पदाधिकारियों ने कहा कि ये कर्मचारी वर्षों से निगम की सेवाएं संभाल रहे हैं, लेकिन आज भी नियमितिकरण से वंचित हैं।
बैठक में सहकारी दुग्ध शालाओं के कर्मचारियों की स्थिति पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की गई। बताया गया कि इन कर्मचारियों को अब तक सातवें वेतनमान का लाभ नहीं मिला है, जबकि छठे वेतनमान के अंतर्गत देय महंगाई भत्ता भी पिछले तीन वर्षों से लंबित है। महासंघ ने सातवां वेतनमान लागू करने और लंबित महंगाई भत्ते का तत्काल भुगतान करने की मांग की।
उत्तराखण्ड जल संस्थान में बिना सीजन एवं नीति के विरुद्ध किए गए स्थानांतरणों को निरस्त करने की मांग भी उठाई गई। इसके अलावा परिवहन क्षेत्र में हो रहे अवैध संचालन पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा गया कि इससे निगम को भारी राजस्व नुकसान हो रहा है और कर्मचारियों का भविष्य प्रभावित हो रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रकाश राणाकोटी का बयान
प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रकाश राणाकोटी ने कहा कि राज्य के निगमों में कार्यरत कर्मचारी लंबे समय से उपेक्षा का शिकार हैं। बार-बार मांगें रखने के बावजूद सरकार की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई। यदि अब भी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो महासंघ आंदोलन के लिए मजबूर होगा।
प्रदेश महामंत्री नन्दलाल जोशी का बयान
प्रदेश महामंत्री नन्दलाल जोशी ने कहा कि कर्मचारियों की मांगें पूरी तरह जायज हैं। विनियमितिकरण, वेतनमान, महंगाई भत्ता और अवैध संचालन जैसे मुद्दे सीधे कर्मचारियों के जीवन से जुड़े हैं। समय रहते समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन की पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
बैठक के अंत में सभी घटक संगठनों ने एकजुट होकर कर्मचारियों के हितों के लिए संघर्ष को और तेज करने का संकल्प लिया।