वीरेंद्र दत्त सेमवाल: पहाड़ों की संजीवनी से राजनीति और उद्योग की बुलंदी तक

बालगंगा घाटी की हरियाली, मां ज्वालामुखी की थाती और बूढ़ाकेदार की दिव्यता—इन प्राकृतिक दृश्यों के बीच से उभरती है एक ऐसी शख्सियत की कहानी, जिसने संघर्ष और समर्पण से न सिर्फ अपना बल्कि अपने प्रदेश का नाम भी ऊंचा किया। यह कहानी है वीरेंद्र दत्त सेमवाल की—एक ऐसे व्यक्तित्व की जिन्होंने उद्योग, राजनीति और समाज सेवा में उत्तराखंड की पहचान को नई दिशा दी।
मूल रूप से विनकखाल के कुंडियाली गांव के निवासी वीरेंद्र दत्त सेमवाल वर्तमान में उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद के राज्यमंत्री हैं। यह जिम्मेदारी उन्हें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश नेतृत्व की सहमति से सौंपी गई।

कर्मभूमि मेरठ और टेक्सटाइल उद्योग में संघर्ष
उत्तराखंड के युवाओं के लिए जब रोजगार के अवसर सीमित थे, तब वीरेंद्र दत्त सेमवाल ने टेक्सटाइल उद्योग को अपनी कर्मभूमि बनाया। शुरुआती संघर्षों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने मेहनत और लगन से इस क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई।
आज वे न केवल उत्तराखंड के अग्रणी उद्योगपतियों में शामिल हैं, बल्कि मेरठ में स्थापित अपनी हथकरघा इकाई के माध्यम से सैकड़ों परिवारों को रोजगार दे रहे हैं। उनके नवाचारों में से एक विशेष “योगा मैट” है, जो बारिश में भी गीली नहीं होती—यह उनके शोध और नवाचार का प्रमाण है।

सामाजिक प्रतिबद्धता और प्रकृति से जुड़ाव
सेमवाल का जीवन समाज सेवा और पर्यावरणीय संतुलन के प्रति समर्पित है। वे नियमित रूप से अपने गांव जाते हैं, स्थानीय समस्याओं का समाधान करते हैं और जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा में सहयोग देते हैं।
“वोकस फॉर लोकल” पहल को आगे बढ़ाते हुए वे स्थानीय उत्पादों के उपयोग और उत्पादन को प्रोत्साहित करते हैं। ऋषिकेश स्थित उनकी गौशाला ‘केशवंम माधवंम’ में 100 से अधिक भारतीय नस्ल की गौ माताओं की सेवा की जाती है, जिनमें बद्री नस्ल की गायें भी शामिल हैं। इस कार्य में उनका परिवार भी सक्रिय रूप से योगदान देता है।

राजनीति और प्रशासन में योगदान
सेमवाल ने राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। वे पूर्व में मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खडूरी के सलाहकार और केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय में सलाहकार रह चुके हैं। उनके प्रयासों से ही मेरठ की धरती पर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की पहली मूर्ति का अनावरण तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा किया गया था।
उन्होंने मुरली मनोहर जोशी, लालकृष्ण आडवाणी और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं के विकास कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभाई है।
राज्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने धारचूला, मुनस्यारी, हर्षिल, टिहरी, गंगी और गेवाली जैसे दुर्गम क्षेत्रों का दौरा किया और शिल्पकारों, कलाकारों एवं भेड़पालकों से संवाद कर उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ने का प्रयास किया।

सपना और भविष्य की दिशा
वीरेंद्र दत्त सेमवाल का सपना है कि उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में हथकरघा और हस्तशिल्प केंद्र स्थापित हों, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिले और हिमालयी क्षेत्रों में उत्पादित ऊन को वैश्विक पहचान मिले।
उनका लक्ष्य है कि उत्तराखंड में उत्पादित ऊन को दुनिया “हिमालयी हर्बल वूल” के नाम से जाने। उनकी सोच, संघर्ष और कर्मठता उन्हें सिर्फ एक उद्योगपति या राजनेता नहीं, बल्कि पहाड़ों की संजीवनी बनाती है—जो समाज में सकारात्मक बदलाव की राह दिखा रही है।