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बंदूक से आतंकवाद को नियंत्रण कर सकते हैं, खत्म नहीं: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पहलगाम हमले पर बोले अमर अब्दुल्ला

जम्मू : जम्मू और कश्मीर विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नेता अमर अब्दुल्ला ने सोमवार को पहलगाम हमले पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आतंकवाद को केवल बंदूक से नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन इसे पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता। अमर अब्दुल्ला ने यह बयान विधानसभा में तब दिया जब सदन में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले पर चर्चा हो रही थी।

आतंकवाद के खिलाफ नियंत्रित की आवश्यकता
अब्दुल्ला ने कहा, “हम सभी जानते हैं कि जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद एक जटिल समस्या है। इसे बंदूक के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन इसे पूरी तरह से समाप्त करना असंभव है। यह एक संघर्ष है जिसे केवल राजनीतिक समाधान से ही हल किया जा सकता है।” उन्होंने आतंकवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे सुरक्षा अभियानों का समर्थन करते हुए यह भी कहा कि सरकार को अपनी सुरक्षा नीतियों को और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है।

पहलगाम हमले की निंदा
अब्दुल्ला ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की, जिसमें कुछ निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी। उन्होंने राज्य सरकार से आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और शांति बहाल करने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के लोगों को सुरक्षा की गारंटी देने के लिए सरकार को और अधिक प्रयास करने की जरूरत है।

समाधान के लिए राजनीतिक पहल की आवश्यकता
अमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि अगर जम्मू और कश्मीर में स्थायी शांति लानी है, तो इसके लिए राजनीतिक पहल और संवाद की आवश्यकता है। “सिर्फ सुरक्षा उपायों से आतंकवाद को खत्म नहीं किया जा सकता। राज्य सरकार को उन कारणों की पहचान करनी होगी, जिनकी वजह से आतंकवाद पनप रहा है, और उन्हें हल करने के लिए राजनीतिक बातचीत की शुरुआत करनी होगी,” उन्होंने कहा।

राजनीतिक समाधान के महत्व पर जोर
अब्दुल्ला ने इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा कि जम्मू और कश्मीर की समस्या का हल केवल बंदूक और सैन्य कार्रवाई से नहीं होगा, बल्कि इसे एक समग्र और राजनीतिक समाधान के जरिए ही हल किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जरूरी है, लेकिन साथ ही साथ यह भी आवश्यक है कि स्थानीय समुदायों के बीच विश्वास को बहाल किया जाए।

आतंकी हिंसा पर काबू पाना एक चुनौती
अब्दुल्ला ने यह स्वीकार किया कि आतंकवादियों को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब तक कश्मीरी जनता के साथ संवाद नहीं होगा, तब तक इस समस्या का स्थायी समाधान संभव नहीं है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आतंकवाद से निपटने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए, जिसमें सुरक्षा, राजनीतिक पहल और सामाजिक सुधार शामिल हों।

 

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