
देहरादून
उत्तराखंड में सरकारी डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवा लिखना अनिवार्य होगा। यदि डॉक्टर मरीजों को जबरन ब्रांडेड दवा लिखते पाए गए तो उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई होगी। इस मामले में प्रस्ताव तैयार किया है।
राज्य के अधिकांश अस्पतालों में जन औषधि केंद्र खुलने के बावजूद बड़ी संख्या में डॉक्टर मरीजों को ब्रांडेड दवा लिख रहे हैं। इस वजह से लोगों को प्राइवेट से महंगी दवा खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। सरकार ने पूर्व में डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवा के संबंध में कई दिशा निर्देश जारी किए लेकिन उनका खास असर नहीं हो पाया।
इस परेशानी को देखते हुए अब सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से तैयार प्रस्ताव के अनुसार यदि कोई डॉक्टर अस्पताल में उपलब्ध जेनेरिक दवा की बजाए मरीज को ब्रांडेड दवा लिखता पाया गया तो अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को उसके खिलाफ निलंबन की संस्तुति करनी होगी।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि जेनेरिक दवा को लेकर कई बार निर्देश देने के बावजूद अभी तक अपेक्षित सुधार नहीं हो पाया है। ऐसे में अब अधिकारियों को सख्त नियम बनाने को कहा गया है। ताकि जानबूझकर मरीज को ब्रांडेड दवा लिखने वाले डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।
दवा कंपनियों का जाल तोड़ना बना चुनौती देश के साथ ही राज्य में दवा कंपनियों का तगड़ा जाल है। इस वजह से बड़ी संख्या में डॉक्टर ब्रांडेड दवा लिख रहे हैं। कई बार तो दवा उपलब्ध न होने या जेनेरिक साल्ट उपलब्ध न होने की वजह से ब्रांडेड लिखना मजबूरी हो जाता है। लेकिन इस आड़ में अधिकांश डॉक्टर मरीजों को ब्रांडेड दवा ही लिख रहे हैं। ऐसे में मरीजों को इलाज खासा महंगा पड़ रहा है।