घंटाकर्ण मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुले, माणा गांव में तीन दिवसीय जैठ पुजै और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत

माणा: बदरीनाथ धाम के समीप स्थित भारत के अंतिम गांव माणा में आस्था और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला, जब शनिवार 15 जून को भगवान श्री घंटाकर्ण महावीर माणा घन्याल मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। आषाढ़ माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के शुभ अवसर पर पूर्वाह्न 11 बजे यह पारंपरिक विधि-विधान के साथ संपन्न हुआ।
कपाट खुलने की प्रक्रिया सुबह 9 बजे से शुरू हुई। सबसे पहले भगवान विश्वकर्मा मंदिर के कपाट खोले गए, फिर श्री गणेश जी की पूजा-अर्चना के बाद पारंपरिक रीति से भगवान श्री घंटाकर्ण जी की प्रतिमा को पुराने मंदिर से उठाकर माणा गांव स्थित मंदिर में विराजमान किया गया। मंदिर परिसर को सुंदर फूलों से सजाया गया था, जहां महिला मंगल दल द्वारा भजन-कीर्तन और पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए गए।
इस अवसर पर तीन दिवसीय “घंटाकर्ण जैठ पुजै” की भी विधिवत शुरुआत हुई, जिसमें स्थानीय संस्कृति और आस्था का उत्सव मनाया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत भंडारे का आयोजन किया गया और प्रसाद वितरण हुआ। बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों और स्थानीय श्रद्धालुओं ने भगवान घंटाकर्ण के दर्शन किए।
उद्घाटन समारोह में ग्राम पंचायत प्रधान पीतांबर मोल्फा, पश्वा आशीष कनखोली, रघुवीर सिंह, दिलबर विश्वकर्मा, पूजा समिति अध्यक्ष जगदीश रावत, उपाध्यक्ष गुमान सिंह बड़वाल, सरपंच रघुवीर सिंह परमार, कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह बड़वाल सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने भी आयोजन को लेकर जानकारी दी।शाम को भगवान घंटाकर्ण जी की दौड़्या पूजा के बाद संध्या भजन कार्यक्रम शुरू हुआ। रविवार को भी विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
17 जून मंगलवार को जैठ पुजै के समापन पर पारंपरिक ग्रामीण खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी और उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक दरवान नैथवाल लोकगीतों की प्रस्तुति देंगे। समापन समारोह के मुख्य अतिथि बदरीनाथ विधायक लखपत बुटोला होंगे, जो प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान करेंगे।यह आयोजन माणा गांव की सांस्कृतिक समृद्धि और धार्मिक परंपराओं की एक सुंदर झलक प्रस्तुत करता है।