उत्तराखंड में क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी संघ को शासन की मान्यता; सदस्यों की मांगों को मिलेगा उचित मंच

उत्तराखंड सरकार ने आदेश संख्या 143, दिनांक 2 अप्रैल 2025 के तहत क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी संघ, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग उत्तराखंड को आधिकारिक मान्यता प्रदान कर दी है। इस फैसले से इस संवर्ग के अधिकारियों को अपनी जायज मांगों को उचित मंच पर रखने का अवसर मिलेगा।
इस संबंध में संघ के प्रांतीय अध्यक्ष श्री विभूति जुयाल ने जानकारी दी कि लंबे समय से इस संवर्ग के अधिकारियों की कोई सुनवाई नहीं हो रही थी, जिससे उनकी समस्याओं की अनदेखी हो रही थी। शासन द्वारा मान्यता दिए जाने के बाद अब यह अधिकारी अपनी मांगों को सशक्त रूप से प्रस्तुत कर सकेंगे।
श्री जुयाल ने बताया कि क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी आपदा प्रबंधन, दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में खाद्यान्न वितरण, निर्वाचन कार्य, गणमान्य व्यक्तियों की ड्यूटी, प्रवर्तन कार्य सहित कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाते हैं। इसके बावजूद उन्हें अन्य विभागों की तुलना में वाहन भत्ता और अन्य सुविधाएं समान रूप से नहीं मिलती हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में तैनात अधिकारियों को इन लाभों का समान रूप से वितरण किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि विभागीय कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए प्रशासनिक ढांचे में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने उच्च वेतनमान और अधिक अधिकार दिए जाने की मांग को भी उच्च अधिकारियों के समक्ष रखने का आश्वासन दिया।
संघ की इस मान्यता पर संघ के कोषाध्यक्ष श्री प्रशान्त बिष्ट, महामंत्री श्री मनोज सोनी, विशेष सदस्य श्रीमती करुणा पंत, विधिक सलाहकार श्री विनोद चंद तिवारी, संरक्षक श्री सुरेंद्र सिंह चौहान, उपाध्यक्ष श्री रविंद्र कुमार, श्री मनोज बर्तवाल, उपाध्यक्ष (महिला) श्रीमती दिव्या अहीन पांडेय, श्री विजय डोभाल समेत अन्य पदाधिकारियों ने हर्ष व्यक्त किया। उन्होंने शासन के प्रति आभार प्रकट करते हुए प्रांतीय अध्यक्ष श्री विभूति जुयाल को अपना पूर्ण समर्थन दिया और भविष्य में भी सहयोग देने का आश्वासन दिया।
शासन के इस फैसले से क्षेत्रीय खाद्य अधिकारियों को संगठित होकर अपनी मांगों को मजबूती से रखने का अवसर मिलेगा, जिससे उनकी कार्यक्षमता और प्रशासनिक मजबूती में वृद्धि होने की उम्मीद है। यह फैसला उत्तराखंड में क्षेत्रीय खाद्य अधिकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय को उजागर करता है, जिससे उनकी मांगों को उचित मंच मिल सकेगा।