
हरिद्वार जेल से रिहा हुए पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन की रिहाई के बाद कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ती नजर आईं। उनके समर्थकों का काफिला हूटर बजाते हुए सड़कों पर दौड़ा, मानो कानून उनके लिए कोई मायने नहीं रखता।
चैंपियन की रिहाई की प्रक्रिया भी आम कैदियों से बिल्कुल अलग रही। जानकारी के मुताबिक, जेल अधीक्षक ने खुद अस्पताल जाकर कागजी कार्रवाई पूरी की और उसके बाद चैंपियन को रिहा किया गया। समर्थकों की भीड़ के बीच उनका काफिला रवाना हुआ, जिसमें कानून-व्यवस्था की साफ अनदेखी की गई।
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अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह विशेष दर्जे का संकेत था, या फिर कानून की सख्ती केवल आम नागरिकों पर ही लागू होती है? क्या जेल से रिहाई के बाद हूटर बजाते हुए काफिले का प्रदर्शन कानून के नियमों की अवहेलना नहीं है?
इस पूरे मामले ने एक बार फिर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी अन्य विवादों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।