
DEHRADUN : लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाओं के रोकथाम व दुर्घटना उपरान्त होने वाली मानव क्षति को कम से कम करने के लिये सरकार लगातार प्रयास कर रही है ।इसी क्रम में परिवहन विभाग देहरादून संभाग के नेतृत्व में एआरटीओ विकासनगर द्वारा चालक परिचालकों के अतिरिक्त समस्त रोड़ यूजर्स को सड़क सुरक्षा से जोड़ने के उद्देश्य से जागरूकता एवं दुर्घटना के बाद घायलों को तत्काल सहायता प्रदान करने हेतु स्वयं सेवियों, विद्यार्थियों व वाहन चालकों को फर्स्ट रेस्पोंडर के रूप में तैयार करने हेतु एक ट्रेनिंग प्रोग्राम सिनर्जी अस्पताल देहरादून में आयोजित किया गया। संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन एवं सड़क सुरक्षा) देहरादून डाॅ0 अनीता चमोला के नेतृत्व में एआरटीओ कार्यालय विकासनगर से 83 स्वयंसेवियों ने ट्रेनिंग प्रोग्राम में प्रतिभाग किया।
आरटीओ डाॅ अनीता चमोला ने बताया कि देश में लगातार सड़क दुर्घटनाए बढ़ रही हैं जिससे बड़ी संख्या में मानवीय क्षति व आर्थिक नुकसान देश को होता है। भारत सरकार ने 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को आधा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है ।इसके लिये जरूरी है कि सड़क का प्रयोग करने वाले समस्त ब्यक्तिओं में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता हो ताकि सड़क को सुगम ,अबाधित व दुर्घटना रहित बनाया जा सके। सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिये सावधानी, सुरक्षा व अनुशासित ड्राइविंग ही वे कारक हैं जो सड़क दुर्घटनाओं को कम कर सकते हैं और इसके लिये जरूरी है कि सड़क का प्रयोग करने वाला प्रत्येक ब्यक्ति सड़क के नियमों का पालन करे और एक जिम्मेदरा रोड़ यूजर के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करे। दुर्भाग्यवश किसी भी दुर्घटना होने की दशा में एक जिम्मेदार नागरिक व मानव होने के नाते भी हमारा कर्तव्य है कि दुर्घटना पीड़ितों की सहायता की जा सके ताकि दुर्घटना से होने वाली मानव क्षति को कम किया जा सके।
कार्यक्रम में एआरटीओ प्रशासन विकासनगर मनीष तिवारी ने कहा किसी भी सड़क दुर्घटना के एक घंटे के भीतर यदि दुर्घटना पीड़ित को आवश्यक चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाये तो दुर्घटना से होने वाली मानवीय क्षति को नब्बेे प्रतिशत तक कम किया जा सकता है ।इसी एक घंटे को गोल्डन आॅवर कहा जाता है और इस एक घंटे के भीतर दुर्घटनास्थल के आसपास रहने वाले लोग, सड़क पर चलने वाले चालक व अन्य रोड युजर्स के द्वारा यदि समय रहते दुर्घटना पीड़ित की सहायता की जाती है तो ऐसे व्यक्ति को नेक राहगीर गुड सेमेरिटन कहा जाता है। गुड सेमेरिटन के लिये दुर्घटना पीड़ित की सहायता के लिये क्या सावधानियां या अहतियात बरतने चाहिए ।इसी के लिये फस्र्ट रेस्पोंडर ट्रेनिंग की जानकारी बहुत जरूरी है। इसीलिए परिवहन विभाग देहरादून संभाग की ओर से ऐसे स्वयंसेवियों को सिनर्जी अस्पताल में क्रीटिकल केयर एनेस्थिसिया टीम के मुख्य चिकित्सक डाॅ सुधीर सिंह द्वारा विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।
प्रशिक्षण में बताया गया कि किस प्रकार दुर्घटना होने की स्थिति में दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों को आवश्यक सहायता तत्काल प्रदान की जा सकती है। इसके लिए दुर्घटना स्थल पर घायल व्यक्ति को सुरक्षित करना, उसके शरीर से बह रहे खून को कम करना व आवश्यक चिकित्सा सुविधा प्रदान करते हुए घायल की सहायता की जाती है। डाॅ. सुधीर ने बताया कि दुर्घटना ग्रस्त घायल जिनकी सांस नहीं चल रही है, उनको भी सीपीआर की सहायकता से सांस वापस लाई जा सकती है। लेकिन उसके लिए जरूरी है कि फस्र्ट रिस्पोन्डर ट्रेनिंग ली जाए।
परिवहन विभाग का उद्देष्य है कि इस प्रकार के फस्र्ट रिस्पोंडर स्वयंसेवियों को प्रशिक्षण देकर उनका डाटा बैंक तैयार किया जाएगा ताकि भविष्य में ये सभी स्वयंसेवी किसी भी दुर्घटना में घायलों को सहायता प्रदान कर सरकार सरकार के काम आएंगे। सिनर्जी अस्पताल एवं एआरटीओ विकासनगर की ओर से कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र, फर्स्ट एड किट, बैग व अन्य गिफ्ट भी प्रदान किये गये।
एसडीआरएफ की टीम द्वारा जानकारी दी गई कि पहाड़ी सड़कों पर जब दुर्घटना स्थल की दूरी लोगों की की पहुंच से दूर होती है तो किस प्रकार उपलब्ध सीमित संसाधनों से घायलों की सहायता कर जान बचाई जा सके।