
देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) पेपर लीक मामले में चर्चित “नीली कुर्सी” की कहानी पूरी तरह बेदम साबित हुई है। SIT की जांच में यह आरोप निराधार निकला कि परीक्षार्थी खालिद को साजिशन एक खास नीली कुर्सी पर बैठाया गया था, ताकि उसे नकल की सुविधा मिल सके।
स्कूल में पहले से मौजूद थीं नीली और काली कुर्सियां
SIT की टीम ने हरिद्वार स्थित परीक्षा केंद्र का निरीक्षण किया। जांच में पता चला कि पूरे स्कूल में काली और नीली – दो तरह की कुर्सियां पहले से मौजूद थीं। किसी कक्ष में नीली कुर्सियां ज्यादा थीं, तो किसी में काली। जिस कक्ष में खालिद बैठा था, वहां दो नीली कुर्सियां थीं – एक पर खालिद बैठा और दूसरी पर कोई अन्य परीक्षार्थी। ऐसे में यह आरोप केवल एक अफवाह ही साबित हुआ।
जैमर की रेंज में था परीक्षा कक्ष
जांच में यह भी सामने आया कि खालिद जिस कक्ष में परीक्षा दे रहा था, वहां अलग से जैमर नहीं लगाया गया था। हालांकि, कक्ष के दोनों ओर लगे जैमर की रेंज 10–15 मीटर तक थी। यही कारण था कि खालिद परीक्षा कक्ष में मोबाइल से फोटो तो खींच पाया, लेकिन उन्हें वहीं से भेज नहीं सका। वह फोटो भेजने के लिए वॉशरूम तक गया।
नकल की कोशिश नाकाम, सिर्फ 35 सवाल किए हल
सूत्रों के अनुसार, खालिद पहले से नकल की तैयारी में था और उसने परीक्षा से एक दिन पहले ही मोबाइल छिपा लिया था। परीक्षा के दौरान उसने प्रश्नपत्र के तीन पन्ने बाहर भेज भी दिए, लेकिन जवाब आने से पहले ही मामला खुल गया। परिणामस्वरूप, खालिद नकल और अकल दोनों के सहारे केवल 35 सवाल ही हल कर पाया, जिनमें कई गलत भी हो सकते हैं। SIT ने इसकी पुष्टि के लिए अब आयोग से खालिद का रिकॉर्ड मांगा है।
निष्कर्ष
SIT की जांच में स्पष्ट हो गया है कि नीली कुर्सी की कहानी मात्र एक अफवाह थी। असलियत यह है कि खालिद ने नकल की पूरी कोशिश की, मगर तंत्र की सतर्कता और जांच के चलते उसकी योजना नाकाम हो गई।