
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित “समान नागरिक संहिता (UCC)” विषयक कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस कार्यशाला का आयोजन उच्च शिक्षा विभाग और देव संस्कृति विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में किया गया था।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में समान नागरिक संहिता को लागू कर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। उन्होंने इस कानून को समाज में समानता और समरसता स्थापित करने की दिशा में एक मजबूत पहल बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा, “यूसीसी किसी भी धर्म, जाति या समुदाय के खिलाफ नहीं है। इसका उद्देश्य समाज की कुप्रथाओं को समाप्त कर सभी नागरिकों को समान न्यायिक अधिकार देना है। खासकर महिलाओं के लिए यह एक नई शुरुआत है।” उन्होंने बताया कि अब उत्तराधिकार और संपत्ति जैसे मामलों में महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा।
धामी ने यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण की व्यवस्था को भी एक प्रगतिशील कदम बताते हुए कहा कि इससे सामाजिक जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यूसीसी के अंतर्गत पंजीकरण कराने से किसी बाहरी व्यक्ति को उत्तराखंड का मूल निवास प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा। “इस तरह की अफवाहें पूरी तरह भ्रामक हैं और वास्तविकता से दूर हैं,” उन्होंने जोर देकर कहा।
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि वे यूसीसी के अंतर्गत आवश्यक पंजीकरण करवाएं और समाज में समान अधिकारों की स्थापना में सहयोग करें।
कार्यशाला में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, दर्जाधारी राज्यमंत्री विनय रोहिला, देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या, दून विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सुरेखा डंगवाल, उच्च शिक्षा सचिव रंजीत सिन्हा सहित कई गणमान्य लोग और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
उत्तराखंड द्वारा यूसीसी को लागू करना न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन गया है। यह पहल आने वाले समय में महिला सशक्तिकरण और सामाजिक समानता की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।