
देहरादून, 08 नवंबर 2025 | ब्यूरो रिपोर्ट उत्तराखंड अब केवल पारंपरिक कृषि तक सीमित नहीं रहा है। राज्य के किसान अब मोटे अनाजों के साथ-साथ कीवी, ड्रैगन फ्रूट, स्ट्रॉबेरी, और एरोमा (सुगंधित) फसलों की खेती कर रहे हैं। इन फसलों ने न सिर्फ राज्य की कृषि में नई पहचान दी है, बल्कि पहाड़ी इलाकों के किसानों की आय में भी बड़ा इजाफा किया है।
राज्य के कई जिलों — देहरादून, नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी और पौड़ी — में आधुनिक तकनीक और प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर उपयोग से बागवानी और एरोमा खेती को बढ़ावा मिल रहा है। कीवी और ड्रैगन फ्रूट जैसी फसलें अब उत्तराखंड की ऊंचाई वाले इलाकों में सफलतापूर्वक उगाई जा रही हैं।
सरकार की पहल और कृषि विभाग के मार्गदर्शन से किसानों को प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता दी जा रही है। साथ ही, ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड के माध्यम से स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान मिल रही है। यह प्लेटफॉर्म पहाड़ी किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाने में मदद कर रहा है।
किसानों का कहना है कि एरोमा फसलों जैसे लैवेंडर, रोजमेरी और लेमनग्रास की खेती से अतिरिक्त आमदनी हो रही है। इन फसलों से तैयार तेल और परफ्यूम की मांग देश-विदेश के बाजारों में लगातार बढ़ रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस दिशा में निरंतर प्रयास जारी रहे तो उत्तराखंड आने वाले वर्षों में फल, फूल और एरोमा उत्पादों के लिए देश का अग्रणी राज्य बन सकता है।