उत्तराखंड सहकारिता मंत्री ने अमित शाह के समक्ष प्रस्तुत की राज्य की उपलब्धियां

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में दिल्ली के भारत मंडप में आयोजित सहकारिता मंथन कार्यक्रम में उत्तराखंड के सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने प्रदेश की सहकारी उपलब्धियों को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया। इस अवसर पर डॉ. रावत ने राज्य की आवश्यकताओं के साथ-साथ भविष्य की योजनाओं पर भी चर्चा की।
डॉ. रावत ने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां सहकारिता के क्षेत्र में महिलाओं की 33 प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित की गई है। उन्होंने मिलेट्स मिशन की सफलता का उदाहरण देते हुए कहा कि पहले किसान अपना मंडुवा मात्र 10 रुपए प्रति किलो बेचते थे, लेकिन अब सहकारी समितियों के माध्यम से उन्हें घर बैठे 42 रुपए प्रति किलो की दर मिल रही है। इससे प्रदेश में मिलेट्स उत्पादन के प्रति किसानों की रुचि फिर से बढ़ी है।
सहकारिता मंत्री ने महिला सहायता समूहों के लिए विशेष योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विभाग महिला सहायता समूहों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर आवश्यकता के अनुसार 1 लाख, 3 लाख और 5 लाख रुपए तक का ऋण उपलब्ध कराता है, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर स्वरोजगार कर रही हैं। अब तक प्रदेश में 12 लाख किसानों को साढ़े 6 हजार करोड़ रुपए का ऋण वितरित किया जा चुका है।
डॉ. रावत ने नवगठित सहित अनेक सहकारी संस्थाओं के लिए वित्तीय सहायता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं के माध्यम से पर्वतीय क्षेत्रों में मूल्य श्रृंखला आधारित विकास संभव है। त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए उत्तराखंड को उपयुक्त राज्य बताते हुए उन्होंने अनुरोध किया कि संस्थान का एक कैंपस राज्य में स्थापित किया जाए। राज्य सरकार इसके लिए भूमि एवं ढांचा उपलब्ध कराने को तैयार है।
प्रदेश में आयोजित होने वाले सात दिवसीय सहकारी मेले के लिए डॉ. रावत ने देशभर के सभी राज्यों और सहकारी संस्थाओं को आमंत्रित किया। साथ ही केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह को भी इस मेले में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया।
उन्होंने “वाइब्रेंट विलेज” योजना को सहकारी दृष्टिकोण से जोड़ने का सुझाव देते हुए सेना और सीमा क्षेत्र के निवासियों के बीच सब्जियों एवं आवश्यक वस्तुओं के आदान-प्रदान की सहकारी प्रणाली विकसित करने की बात कही। “घसयारी कल्याण योजना” व अन्य राज्य संचालित योजनाओं को सहकारिता मॉडल से एकीकृत कर ग्रामीण परिवारों की आजीविका को मजबूत किया जा रहा है।
डॉ. रावत ने सुझाव दिया कि NCDC के तहत राज्यों को दी जाने वाली 30 प्रतिशत सब्सिडी, जो पहले कृषि मंत्रालय द्वारा दी जाती थी, अब सहकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू की जानी चाहिए। इससे कई राज्यों को आर्थिक बल मिलेगा। तीन राष्ट्रीय समितियों में प्रति समिति 65 पैक्स के लक्ष्य को पूर्ण करते हुए 500 पैक्स जोड़ दिए गए हैं।
सहकारिता मंत्री ने गर्व से कहा कि केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय द्वारा राज्य को निर्धारित किए गए सभी लक्ष्य पूर्ण कर लिए गए हैं। इस अवसर पर उत्तराखंड से निबंधक सहकारिता मेहरबान सिंह बिष्ट और अपर निबंधक आनंद शुक्ल ने भी मंथन बैठक में भाग लिया।